क्षमतावान फसले किसानों के लिए वरदान

क्षमतावान फसले किसानों के लिए वरदान

क्षमतावान फसले किसानों के लिए वरदान



              कुमाररगंज [अयोध्या]। 


आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय, कुमारगंज में चल रही अखिल भारतीय समन्वयित क्षमतावान फसल अनुसधान नेटवर्क के तहत लगी फसलो के निरीक्षण एवं परियोजना की गतिविधियों के अवलोकन हेतु राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्ति वैज्ञानिक डा. एच.एन.रैगर, राष्ट्रीय परियोजना समवन्यक ने विश्वविद्यालय के अन्य सम्बन्धित वैज्ञानिकों जैसे डा.एस.सी.विमल, विभागाध्यक्ष,अनुवांशिकी पादप एवं प्रजनन विभाग/संयुक्त निदेशक, बीज एवं प्रक्षेत्र, डा. शिवनाथ, चना परियोजना प्रभारी, डा. सुभाष चन्द्रा, एवं डा. रमेश चन्द्र वरिष्ठ वैज्ञानिक, पादप रोग विज्ञान विभाग तथा अन्य वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों ने परीक्षणो का बारीकी से आकलन किया। 

         इस परिपेक्ष्य में डा. रैगर ने क्षमतावान फसलों की महत्वता पर भी अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। डा. रैगर ने बताया कि मानव आहार में अगर क्षमतावान फसलों जैसे रामदाना, इमेरेथस, बथुवा (चिनोपोडियम), बिंग्डवीन एवं चिया सीड आदि फसलो को समुचित मात्रा में सामिल किया जाता है तो उत्तर प्रदेश ही नहीं देश से कुपोषण की समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है। 

              इन फसलों में अन्य फसलो जैसे गेहू, जौ, चना, चावल एवं दालों की तुलना में उपयोगी प्रोटीन, अमीनो एसिड एवं खनिज लवणो की मात्रा प्राकृतिक रूप से अधिक पायी जाती है साथ ही राष्ट्रीय समन्वय ने यह भी बताया कि इन फसलो के किसानों द्वारा उगाये जाने पर बाजार भाव अच्छा होने से अच्छा मूल्य मिलेगा जिससे किसानों की आमदनी को आसानी से दुगुना किया जा सकता है। इन फसलों के उगाये जाने के लिए भारत सरकार भी किसानों को खाद, बीज एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता को सुनिश्चित कराने में तकनीकी एवं आर्थिक रूप से हर सम्भव मदद करेगी। ।
 

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