Success Story: 6 साल में मिली 12 सरकारी नौकरी, पढ़ें पटवारी से IPS अफसर बनने तक का सफर

Success Story: 6 साल में मिली 12 सरकारी नौकरी, पढ़ें पटवारी से IPS अफसर बनने तक का सफर

Success Story: 3 अप्रैल 1988 का दिन राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील के छोटे से गाँव रायसर में एक बच्चे के जन्म के रूप में याद किया जाएगा। उसके पिता ऊंटगाड़ी चलाते थे और घर चलाने के लिए मजदूरी करते थे। घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी, और बचपन में वह लड़का मवेशियों के गले में बंधी जंजीर पकड़कर उन्हें चराने जाता था।

गरीबी से निकलने की ठानी और सरकारी नौकरी का सपना

बचपन से ही उस बच्चे को एहसास हो गया कि अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालने के लिए उसे कड़ी मेहनत करनी होगी। शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने सरकारी नौकरी की तैयारी में खुद को झोंक दिया। उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं था। पहली सफलता तब मिली जब उसने लेखपाल (पटवारी) भर्ती परीक्षा पास की और पटवारी बन गया। लेकिन उसके सपनों की मंजिल सिर्फ इतना ही नहीं थी।

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आईपीएस बनने का कठिन सफर

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पटवारी बनने के बाद भी प्रेमसुख देलू ने सभी सरकारी नौकरियों के फॉर्म भरे और महज छह साल के भीतर 12 अलग-अलग सरकारी विभागों की प्रवेश परीक्षा क्वालीफाई कर ली। साल 2015 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और पूरे देश में 170वीं रैंक हासिल की। इस रैंक के साथ उनका चयन आईपीएस के रूप में हुआ। आज प्रेमसुख देलू गुजरात के जामनगर में एसपी के पद पर तैनात हैं।

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असिस्टेंट जेलर और लेक्चरर के रूप में भी काम किया

अपने संघर्ष के दौरान प्रेमसुख ने राजस्थान में असिस्टेंट जेलर के रूप में नियुक्ति पाई। इसके अलावा तहसीलदार और स्कूल लेक्चरर के रूप में भी काम किया। राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित ग्राम सेवक परीक्षा में उन्हें दूसरा स्थान मिला। सब इंस्पेक्टर के रूप में चयन हुआ, लेकिन उन्होंने अन्य पदों को भी छोड़कर शिक्षा विभाग में योगदान दिया।

हिम्मत और मेहनत से बनी मिसाल

प्रेमसुख देलू का परिवार बहुत पढ़ा-लिखा नहीं था; उनकी बड़ी बहन ने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। लेकिन प्रेमसुख ने अपने हौसले और मेहनत से वो मुकाम हासिल किया, जिसका आज पूरे देश में सम्मान है। आईपीएस बनने के बाद उन्हें गुजरात कैडर मिला और उनकी पहली पोस्टिंग अमरेली में एसीपी के रूप में हुई।

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