First IAS Officer: ये थे भारत के पहले IAS अफसर, 21 साल की उम्र में मिली सफलता

First IAS Officer: ये थे भारत के पहले IAS अफसर, 21 साल की उम्र में मिली सफलता

First IAS Officer: आईएएस अफसर यानी नौकरशाह बनने का आकर्षण आज के समय की तरह ब्रिटिश राज में भी युवाओं के लिए बहुत थाउस दौर में इंडियन सिविल सर्विसेज (ICS) अफसर चुने जाते थे, लेकिन परीक्षा अंग्रेजों के अनुकूल डिजाइन की गई थीऐसे में भारत का पहलाअपनाICS अफसर बनने का गौरव सत्येंद्रनाथ टैगोर (Satyendranath Tagore) को प्राप्त हुआ

21 साल की उम्र में ICS पास कर इतिहास रचा

सत्येंद्रनाथ ने 1863 में लंदन जाकर ICS परीक्षा में सफलता हासिल कीवे केवल पहले भारतीय नहीं बने, जिन्होंने इस परीक्षा में सफलता पाई, बल्कि उन्होंने आगे आने वाले भारतीयों के लिए भी सिविल सर्विसेज में प्रवेश की राह खोली।

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नामी परिवार और शिक्षा

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सत्येंद्रनाथ टैगोर, मशहूर कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे। उनका जन्म 1 जून 1842 को कोलकाता में हुआ था और वे एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनका निधन 9 जनवरी 1923 को हुआ।

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बॉम्बे प्रेसिडेंसी जैसी अहम जिम्मेदारी

ICS अफसर बनने के बाद सत्येंद्रनाथ को अंग्रेजों ने अहम प्रशासनिक जिम्मेदारियां सौंपीं। भारत लौटने पर उन्हें बॉम्बे प्रेसिडेंसी का कार्यभार दिया गया, जो उस समय का एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक क्षेत्र था। इसके बाद उन्होंने सतारा, अहमदाबाद और पुणे जैसे शहरों के प्रशासन को भी संभाला। इस दौरान उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा।

समाज सुधारों में योगदान

सत्येंद्रनाथ सिर्फ नौकरशाह ही नहीं थे, बल्कि समाज सुधारक भी थेवे महिला सशक्तिकरण के समर्थक थे और महिलाओं में आधुनिक फैशन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे ब्रह्मो समाज के सक्रिय सदस्य थे, जिसने जातीय और सामाजिक भेदभाव को कम करने में काम किया।

साहित्य और संगीत में योगदान

सत्येंद्रनाथ टैगोर में भी अपने भाई रविंद्रनाथ की तरह क्रिएटिव प्रतिभा थी। वे कवि, लेखक और संगीतकार थे। उन्होंने अपने पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर की आत्मकथा का अंग्रेजी में अनुवाद किया और बंगाली साहित्य में योगदान दिया। उनकी रचना ‘बौद्ध धर्मा’ बुद्धिवादी दर्शन में महत्वपूर्ण मानी जाती है। साथ ही, उनका लिखा देशभक्ति गीत ‘मिले सबे भारत संतान’ भारत के पहले राष्ट्रगान के रूप में जाना जाता है।

भाषाओं का ज्ञान

सत्येंद्रनाथ ने कई देशों की यात्राओं के दौरान कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। बंगाली और अंग्रेजी के अलावा उनकी फारसी पर भी पकड़ मजबूत थी, जो उस समय प्रशासनिक कार्यों के लिए आवश्यक थी।

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