सोनभद्र में मानवता की मिसाल, अनाथालय के बच्चों के साथ जन्मदिन की खुशियाँ
फिजियोथेरेपी छात्र शिवम शुक्ला ने अनाथालय में बच्चों संग मनाया जन्मदिन
मनुष्य का जीवन समाज में ही सार्थक होता है- अरविंद शुक्ला
अजित सिंह/ राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
समाज में आज भी ऐसे लोग हैं, जो अपनी खुशियों को दूसरों के साथ बाँटकर सच्ची खुशी पाते हैं। इसी का एक सुंदर उदाहरण पेश करते हुए फिजियोथेरेपी के छात्र शिवम शुक्ला ने अपना जन्मदिन सोनभद्र के अनाथालय में बच्चों के साथ मनाया। यह कदम न केवल उनकी उदारता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि मानवता की सेवा करना उनके परिवार के मूल्यों का एक अभिन्न अंग है।

शिवम शुक्ला जो बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी में डॉक्टरेट का कोर्स कर रहे हैं, हमेशा से जरूरतमंदों की मदद करना चाहते थे। उन्होंने प्रसिद्ध शिक्षक खान सर से प्रेरणा लेते हुए कहा कि जिस प्रकार खान सर शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहे हैं, उसी तरह मैं भी एक डॉक्टर के रूप में लोगों की सेवा करूंगा।
अनाथालय में बच्चों के साथ जन्मदिन मनाने के पीछे की भावना को साझा करते हुए शिवम ने बताया कि वह और उनकी बहन शिवांगी शुक्ला हर साल इसी तरह अपना जन्मदिन मनाते हैं। उन्होंने कहा कि हम इन बच्चों के साथ खुशियाँ साझा करते हैं ताकि उन्हें भी खुशी मिल सके। उन्हें खुश देखकर हमें काफी खुशी मिलती है।
शिवम के इस नेक काम में उनके परिवार का पूरा समर्थन है। उनके पिता अरविंद शुक्ला और माता साधना शुक्ला भी अक्सर सामाजिक कार्यों में लगे रहते हैं। शिवम ने बताया कि अपने माता-पिता के सेवाभाव को देखकर ही उन्हें यह प्रेरणा मिली है। उन्होंने कहा कि हम उनके दिखाए गए रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहे हैं और चाहते हैं कि नई पीढ़ी के युवा भी ऐसे कामों में आगे आएं। अरविंद शुक्ला के परिवार में सभी सदस्य समाज की सेवा में लगे हैं।
उनकी बेटी शिवांगी शुक्ला पारुल यूनिवर्सिटी में काउंसलर के रूप में काम कर रही हैं। अरविंद शुक्ला ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि मनुष्य का जीवन समाज में ही सार्थक होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी व्यक्ति अकेला रहकर न तो अपनी सभी जरूरतों को पूरा कर सकता है और न ही मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है। उनका मानना है कि एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य का साथ देना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ एक नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकता भी है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहाँ लोग अक्सर अपने काम में व्यस्त रहते हैं, वहीं शिवम शुक्ला और उनके परिवार का यह कदम एक प्रेरणादायक संदेश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में है।

Comment List