समस्तीपुर में सड़क पर 3 फीट पानी, 20 हजार की आबादी प्रभावित

निर्माण में अनियमितता का आरोप, काम रोका गया

समस्तीपुर में सड़क पर 3 फीट पानी, 20 हजार की आबादी प्रभावित

समस्तीपुर के खानपुर प्रखंड अंतर्गत रेवड़ा पंचायत के वार्ड एक में मुख्य सड़क पर आधा किलोमीटर तक पानी भरा होने से स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ गई है। सड़क पर करीब तीन फीट गहरा पानी बह रहा है, जिससे राहगीरों को छोटे नदी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को हो रही है।

स्कूल जाने वाले बच्चों की पढ़ाई पर असर

ग्रामीणों ने बताया कि पानी में रोजाना स्कूल जाने से कई बच्चे बीमार हो चुके हैं। कुछ बच्चों के पैरों में सूजन और चोट के मामले भी सामने आए हैं। ग्रामीण कौशल किशोर राय के मुताबिक, जलजमाव के कारण आधे से अधिक बच्चे स्कूल जाना छोड़ चुके हैं।

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स्थानीय पैक्स अध्यक्ष रविन्द्र कुमार राय ने बताया कि यह सड़क रेवड़ा से बाउन घाट, मूजारी, हथौड़ी होते हुए दरभंगा तक जाती है और हजारों लोगों का आना-जाना इसी पर निर्भर है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने पुराने सड़क पर बिना उचित रॉ मटेरियल डाले सिर्फ चार इंच की ढलाई कर दी। इसी वजह से सड़क की ऊंचाई कम रह गई और पानी जमा होने लगा। नाराज ग्रामीणों ने काम रोककर ठेकेदार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है।

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20 हजार लोगों की जिंदगी हुई प्रभावित

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करीब 20 हजार आबादी वाले इस पंचायत के लोग रोजाना इस सड़क से गुजरते हैं। स्कूल जाने वाली शिला देवी बताती हैं कि पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे स्कूल आने-जाने वाले बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

प्रशासन ने दिया जांच का भरोसा

प्रखंड विकास पदाधिकारी विजय कुमार चंद्रा ने बताया कि मामले की जानकारी उन्हें मिल चुकी है। जल्द ही जांच कर ठेकेदार को स्टीमेट के अनुसार गुणवत्तापूर्ण काम करने का निर्देश दिया जाएगा ताकि ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो सके।

ग्रामीणों की मांगग्रा

मीणों ने मांग की है कि पहले सड़क को ऊंचा किया जाए और जलनिकासी की व्यवस्था कराई जाए ताकि भविष्य में सड़क पर तालाब जैसी स्थिति न बने। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक सड़क की ऊंचाई और निकासी सही नहीं होगी, वे निर्माण कार्य दोबारा शुरू नहीं होने देंगे।

सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदारी किसकी है?

सड़क की दुर्दशा और लापरवाही के बीच सवाल यह उठता है कि आखिर निरीक्षण और गुणवत्ता की जिम्मेदारी कौन निभाएगा? फिलहाल ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द कोई ठोस कदम उठाएगा और उनकी मुश्किलें दूर होंगी।

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