सोनभद्र त्याग,सेवा और परिवर्तन की एक नई गाथा-शिव प्रताप सिंह बबलू की विरासत को आगे बढ़ाती मातृशक्ति निशा सिंह और डब्लू सिंह
मातृशक्ति निशा सिंह और डब्लू सिंह समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण की प्रेरक गाथा
टीम निशा बबलू सिंह का सराहनीय कदम
अजीत सिंह की खास ग्राउंड रिपोर्टिंग
जिले का रेणुकूट क्षेत्र जो अपने औद्योगिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, अब त्याग, सेवा और परिवर्तन की एक नई गाथा लिख रहा है। यह कहानी है रेणुकूट नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन शिव प्रताप सिंह उर्फ बबलू सिंह की उस विरासत की, जिसे उनकी धर्मपत्नी निशा सिंह और छोटे भाई डब्लू सिंह पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।

हिंडाल्को एल्युमिनियम प्लांट और रिहंद बांध के लिए विख्यात यह क्षेत्र अब इन तीनों के मानवीय प्रयासों से और भी प्रेरणादायक बन रहा है। रेणुकूट नगर पंचायत के चेयरमैन शिव प्रताप सिंह उर्फ बबलू सिंह एक ऐसे समाज सुधारक थे जिन्होंने अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया।

उनका मानना था कि समाज में समानता और न्याय मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या स्थिति का हो। शिव प्रताप सिंह उर्फ बबलू सिंह उनके मुख्य उद्देश्य था रेणुकूट क्षेत्र में ब्लड बैंक न होने के कारण दुर्घटनाओं में कई मजदूरों और स्थानीय लोगों की मृत्यु हो जाती थी।

हजारों मजदूरों वाले एल्युमिनियम प्लांट के पास ब्लड बैंक की कमी को देखते हुए शिव प्रताप सिंह उर्फ बबलू सिंह ने ब्लड बैंक की स्थापना करवाई, जिससे अनमोल जानें बचाई जा सकीं। बबलू सिंह मजदूरों के हक के लिए कई दिनों तक अनशन पर बैठे रहे। वे उन्हें उनका वाजिब हक दिलाने के लिए दिन-रात एक कर उनके साथ खड़े रहते थे।
उनका मानना था कि ईमानदारी से काम करना और अपने वादे पूरे करना अत्यंत आवश्यक है। शिव प्रताप सिंह शिक्षा को प्राथमिकता देने पर जोर देते थे ताकि सभी को समझने की शक्ति मिले और एक सशक्त तथा समर्थ समाज की नींव रखी जा सके। शिव प्रताप सिंह भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ हमेशा आवाज उठाते थे, जिससे समाज का उत्पीड़न करने वाले असामाजिक तत्वों से उनकी दुश्मनी हो गई।
पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने मीडिया के सामने शिव प्रताप सिंह की हत्या का खुलासा करते हुए बताया कि इस जघन्य अपराध में नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन अनिल सिंह उसके भाई बृजेश सिंह व राकेश सिंह समेत राकेश मौर्या शामिल थे। जानकारी के अनुसार नगर पंचायत चुनाव 2017 में तत्कालीन चेयरमैन अनिल सिंह की हार हुई थी और शिव प्रताप सिंह ने चुनाव जीता था।
इसके बाद से ही राजनीतिक वर्चस्व को लेकर शिव प्रताप सिंह की हत्या की साजिश रची जाने लगी। राकेश मौर्या भी इस नगर पंचायत चुनाव में हारे थे, इसलिए वह भी इस साजिश में शामिल हो गया। इसी बीच जमुना सिंह नाम के एक व्यक्ति से शिव प्रताप सिंह के समर्थकों के बीच विवाद हो गया, जिसमें जमुना घायल हो गया। इस घटना से वह भी शिव प्रताप सिंह से नाराज था। ऐसी स्थिति में इन सभी ने चेयरमैन की हत्या की साजिश रची और जमुना व बृजेश ने बिहार से भाड़े का शूटर बुलाकर सोमवार की रात दस बजे इस जघन्य घटना को अंजाम दिलाया।
यह पूरी घटना अनिल सिंह के संज्ञान में थी। इस दुखद घटना ने समाज को एक महान सेवादार से वंचित कर दिया। पति के आकस्मिक निधन के बाद निशा सिंह ने जीवन के इस कठिन दौर में भी हार नहीं मानी। रेणुकूट में मातृशक्ति के नाम से पहचानी जाने वाली निशा सिंह ने अपने पति के सपनों को साकार करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने अपने कार्यकाल में पूरे क्षेत्र में विकास की गंगा बहाई है।
गरीब, बीमार और दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने से लेकर उन्होंने नगर पंचायत को सुंदर बनाने का अथक प्रयास किया है। निशा सिंह ने उन क्षेत्रों में सड़कें बनवाईं जहाँ पहले सड़कें नहीं थीं, लाइट की व्यवस्था की जहाँ अंधेरा था, पानी की व्यवस्था की जहाँ पानी की कमी थी, और नालियों तथा नलों की व्यवस्था कर बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया। इन सभी परिस्थितियों से गुजरते हुए वह आज सोनभद्र की एक ऐसी महिला के रूप में जानी जा रही हैं, जिनकी जितनी भी चर्चा की जाए, वह कम है। उनके द्वारा 8 जुलाई 2025 को आसपास के क्षेत्र में पर्यावरण को सुंदर बनाने का संकल्प लिया गया।
उनका यह प्रयास सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, वे व्यक्तिगत रूप से एक-एक पौधा लगाकर प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने में जुटी हैं। निशा सिंह का यह समर्पण समाज के लिए एक सच्ची प्रेरणास्रोत है। यह कहावत कि अपने लिए हर इंसान जीता है लेकिन जो दूसरों के लिए जीता है उसे ही असल में जिंदगी कहते हैं निशा सिंह के जीवन में पूरी तरह चरितार्थ होती है। उनकी निस्वार्थ सेवा कई लोगों के लिए एक मिसाल बन गई है।
निशा सिंह के छोटे देवर, डब्लू सिंह, रेणुकूट और आसपास के क्षेत्रों में गरीबों के बीच एक उगते हुए सूरज और शहंशाह के रूप में जाने जाते हैं। वे बिना किसी स्वार्थ के गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। दुर्घटना के समय लोगों की सहायता करने में उनकी भूमिका विशेष रूप से सराहनीय है। वे ऐसे व्यक्ति हैं जो लोगों के दुख-दर्द में उनके साथ खड़े रहते हैं। डब्लू सिंह जैसे व्यक्तियों को अक्सर परोपकारी, दानवीर, और मददगार जैसे कई नामों से जाना जाता है।
जो लोग बिना किसी संगठन के, अपनी जेब से पैसे खर्च करके गरीबों को खाना खिलाते हैं या उनकी मदद करते हैं, वे वास्तव में समाज के लिए एक वरदान हैं। दूसरों की मदद करना न केवल एक नेक कार्य है, बल्कि यह धर्म की स्थापना में भी सहायक होता है। जिनके पास धन है और वे गरीबों की मदद करते हैं, वे निश्चित रूप से उनके लिए भगवान के समान हैं।
ऐसी मदद से लोगों को लगता है कि जो इंसान सच्चाई के साथ होता है, उसे हमेशा समर्थन मिलता है। यह कहा जाता है कि हर किसी को गरीब लोगों की मदद के लिए खड़ा रहना चाहिए क्योंकि जो असर दुआओं में होता है, उसका कोई मोल नहीं और ये दुआएं कभी पैसों में खरीदी नहीं जा सकती हैं। शिव प्रताप सिंह बबलू द्वारा बोए गए निस्वार्थ सेवा के बीज को अब निशा सिंह और डब्लू सिंह एक वटवृक्ष के रूप में सींच रहे हैं।
उनका यह संयुक्त प्रयास रेणुकूट में एक सकारात्मक बदलाव ला रहा है, जो समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। उनका कार्य यह दिखाता है कि कैसे व्यक्तिगत पहल और समर्पण से समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है,और कैसे एक परिवार की विरासत पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा बन सकती है। क्या आप निशा सिंह और डब्लू सिंह के समाज सेवा के अन्य पहलुओं या उनके द्वारा किए गए किसी विशेष कार्य के बारे में जानना चाहेंगे देखना ना भूले अजीत सिंह खास रिपोर्ट

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