ओबरा के ब्रह्मलीन महान संत श्री श्री 108 शिवदास फक्कड़ महाराज एक तपस्वी की अविस्मरणीय गाथा

भूतेश्वर दरबार (गुप्तकाशी ) भक्तों और साधकों के लिए प्रेरणा का स्रोत

ओबरा के ब्रह्मलीन महान संत श्री श्री 108 शिवदास फक्कड़ महाराज एक तपस्वी की अविस्मरणीय गाथा

ओबरा नगर के भूतेश्वर दरबार में महान संतो की अध्यायत्मिक विरासत

अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र / उत्तर प्रदेश-

सोनभद्र के ओबरा में स्थित बाबा भूतेश्वर दरबार, जिसे गुप्तकाशी के नाम से भी जाना जाता है, आज भी छत्तीसगढ़ के एक महान संत, श्री श्री 108 शिवदास फक्कड़ महाराज की अद्भुत कहानियों से गूंज रहा है। यह प्राचीन मंदिर सदियों से साधु-संतों की तपस्थली रहा है, जहाँ कई महात्माओं ने अलौकिक शक्तियों का अनुभव किया है।

शिवदास महाराज इस दरबार के सबसे पुराने संतों में से एक थे। वे उदासीन अखाड़ा से संबंधित थे और उनका पूरा जीवन गहन तपस्या व आध्यात्मिक साधना को समर्पित था। माना जाता है कि उन्होंने अपना अधिकांश जीवन इसी पवित्र भूमि पर बिताया और वर्ष 2000 में यहीं समाधि ली। उनकी समाधि आज भी मंदिर परिसर में स्थित है, जो भक्तों और साधकों के लिए प्रेरणा का अटूट स्रोत बनी हुई है। बाबा भूतेश्वर दरबार का इतिहास बहुत पुराना है।

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यह स्थान आदिकाल से ही साधु-संतों के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र रहा है। इस तपस्वी भूमि पर कई महान आत्माओं ने कठोर साधना कर अद्भुत वरदान और शक्तियाँ प्राप्त की हैं। यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का गहरा अनुभव किया जा सकता है।

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शिवदास महाराज की उपस्थिति और उनकी तपस्या ने इस दरबार की पवित्रता और महत्व को और भी बढ़ा दिया है। पहले परियोजना के कर्मचारी इस मंदिर पर आकर बाबा के साथ रोज़ हरि कीर्तन-पूजन करते थे, और आज भी वही परंपरा सदियों से चली आ रही है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची निष्ठा और अटूट भक्ति से कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की सर्वोच्च ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकता है।

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बाबा भूतेश्वर दरबार एक पहाड़ी पर स्थित है, जो औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पतियों और बनवासियों से घिरा हुआ है। यहाँ का अद्भुत और खूबसूरत दृश्य भारत की प्राकृतिक सुंदरता का परिचायक है, जो आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी अनुपम संगम प्रस्तुत करता है।

इस मंदिर परिसर की एक और अनूठी विशेषता यहाँ रहने वाले सैकड़ों बंदर हैं। यहाँ मोहन बाबा नाम के एक बंदर का भी स्थान माना जाता है, जिसकी समाधि इसी मंदिर पर हुई है। कितने वर्षों से आसपास के स्थानीय लोग इन बंदरों को प्रतिदिन फल-फ्रूट खिलाते हैं, जो इस स्थान की जीव-दया और सौहार्द की भावना को दर्शाता है।आज भी बाबा भूतेश्वर दरबार भक्तों और जिज्ञासुओं के लिए खुला है, जो इस प्राचीन स्थल की शांति और शिवदास महाराज जैसे महान संतों की आध्यात्मिक विरासत का अनुभव करना चाहते हैं।

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