सोनभद्र में बदहाल सड़कें, जनता त्रस्त, डाला क्षेत्र की सड़के बनी लोगों के लिए मुसीबत
डाला क्षेत्र की बदहाल सड़के बनी अल्ट्राटेक सहित स्थानीय लोगों के लिए बना परेशानी का सबब
विकास कार्य की धीमी गति दे रहा है भ्रष्टाचार को बढ़ावा
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
जनपद में भ्रष्टाचार ने ऐसी जड़ें जमा ली हैं कि इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण यहां की सड़कों की बदहाली में देखा जा सकता है। विशेष रूप से डाला क्षेत्र में लाल बत्ती से लेकर सेक्टर बी चौराहे तक की सड़क की हालत बेहद खराब है। यह सड़क लंबे समय से जर्जर स्थिति में है, जिससे स्थानीय निवासियों को लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और आश्चर्यजनक रूप से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
जनता की शिकायत है कि सड़कों की मरम्मत और रखरखाव के लिए जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं। आम नागरिक धूल, बड़े-बड़े गड्ढों और प्रदूषण से जूझ रहे हैं। यह मार्ग क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण धमनी है फिर भी इसकी घोर उपेक्षा की जा रही है।इस समस्या में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री जो इसी क्षेत्र में स्थित है, वह भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
उनके सैकड़ों मजदूर और कर्मचारी इन्हीं बदहाल सड़कों से होकर आते-जाते हैं। स्थानीय लोगों का सवाल है कि क्या अल्ट्राटेक की भी कोई सामाजिक जिम्मेदारी नहीं बनती? उनकी लापरवाही से यह सवाल उठता है कि क्या वे जानबूझकर इस समस्या को अनदेखा कर रहे हैं?
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन खराब सड़कों के कारण कई राहगीर छोटी-मोटी दुर्घटनाओं में घायल हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन या संबंधित विभागों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। जनता अब पूछ रही है, ये सड़कें कब बनेंगी। और कब अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे।स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई है, मगर उनके हाथ सिर्फ खाली आश्वासन ही लगे हैं।
यह स्थिति सोनभद्र में विकास कार्यों की धीमी गति और गहरे भ्रष्टाचार पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। सड़कों का जर्जर होना न केवल दैनिक आवागमन को बाधित करता है, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। धूल और प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं भी अब आम हो गई हैं।
सवाल यह है कि आखिर कब इन सड़कों का निर्माण होगा और कब सोनभद्र में विकास की गति तेज होगी? क्या यह केवल अधिकारियों की लापरवाही है या भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें इस समस्या की असली वजह हैं? जनता अब उम्मीद खो रही है और केवल आश्वासनों से उनका पेट नहीं भर रहा। सोनभद्र का यह विकास मॉडल वास्तव में आम जनता की तकलीफों का जीता-जागता प्रमाण बन गया है।

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