असम के श्रीभूमि जिले में खुशी के आनंद में मनाया गया ईदुल अज़्हा की नमाज़।
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श्रीभूमि संवाददाता स्वतंत्र प्रभात :
मुसलमानों के प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है ईदुल अज़्हा। उचित सम्मान, धार्मिक गंभीरता और बलिदान की महिमा के साथ पूरे देश में इस बार ईद मनाई गई। देश में इसे क़ुर्बानी की ईद के नाम से भी जाना जाता है। सदियों से यह ईद धर्मपरायण मुसलमानों की बलिदान की आदर्शता से प्रेरित करती आ रही है।
07 जून (शनिवार) की सुबह जिले के अकीदतमंद लोग अपने-अपने क्षेत्र की ईदगाह या मस्जिद में ईदुल अज़्हा की दो रकात वाजिब नमाज़ अदा करते हैं। ख़तिब लोग ख़ुत्बे में क़ुर्बानी के महत्व को उजागर करते हैं। अमीर-गरीब उत्तरोत्तर सब कंधे से कंधा मिलाकर नमाज़ अदा करते हैं और शुभकामनाएँ साझा करते हैं। श्रीभूमि जिले के पाथारकांदी के अंतर्गत लक्ष्मीपुर ईदगाह मैदान में सुबह साढ़े सात बजे पवित्र ईदुल अज़्हा की नमाज़ का आयोजन किया गया।
कई सौ मुसलमान इस नमाज़ में भाग लेते हैं। नमाज़ के बाद देश और राष्ट्र की भलाई के लिए विशेष दुआ की जाती है। नमाज़ में इमामती करते हैं कलाईन कॉलेज के प्राचार्य मौलाना डॉ. होसैन अहमद। वहीं ईदुल अज़्हा के अवसर पर लक्ष्मीपुर बाजार व्यापार संघ के अधिकारियों ने पूरे क्षेत्र को सजाया। अतीत की परंपरा और धार्मिक भावनाओं से समृद्ध होकर पूरा क्षेत्र सुंदर से सजाया गया।
गले मिलते हुए आपसी स्नेह की छवि उभरती है, जहाँ अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं था। लक्ष्मीपुर ईदगाह कमिटी और मर्चेंट एसोसिएशन की ओर से जाति, धर्म, वर्ण से परे हर किसी को पवित्र ईद उल अज़्हा की शुभकामनाएँ दी जाती हैं।
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