यूपी में बंजर और बीहड़ जमीन को बनाया जा रहा कृषि योग्य किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य

प्रदेश में पंडित दीन दयाल उपाध्याय किसान योजना प्रभावी

यूपी में बंजर और बीहड़ जमीन को बनाया जा रहा कृषि योग्य किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य

किसानों के हित में कारगर योजना, किसानों के आय में वृद्धि

अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-

 02 जून, 2025 उत्तर प्रदेश सरकार लगातार बढ़ती जनसंख्या के लिए अन्न उत्पादन बढ़ाने और कृषि योग्य भूमि के रकबे को बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश की बंजर, बीहड़, ऊबड़-खाबड़, असमतल और जलभराव वाली जमीनों को कृषि योग्य बनाया जा रहा है। इस पहल से न केवल खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि किसानों की आय में भी उल्लेखनीय इजाफा होने की उम्मीद है।

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उत्तर प्रदेश में जमीन का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न कारणों से अनुपजाऊ पड़ा है, जिस पर किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत 2 लाख 19 हजार 250 हेक्टेयर से अधिक खराब पड़ी भूमि को खेती योग्य बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में यह योजना प्रदेश के 74 जिलों में सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। गौतमबुद्ध नगर को छोड़कर शेष सभी जिलों में यह योजना प्रभावी है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सुधार के विभिन्न कार्यक्रम चलाना है।योजना के मुख्य बिंदु और लाभ

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक बीहड़, बंजर और जलभराव वाले क्षेत्रों के सुधार और उपचार के लिए चलाई जाएगी। इस योजना के तहत चयनित परियोजना क्षेत्र के सभी किसान और भूमिहीन मजदूर लाभार्थी होंगे। विशेष रूप से लघु व सीमांत किसान और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों व भू-आवंटियों की भूमि को प्राथमिकता दी जा रही है।

किसानों, भूमिहीन मजदूरों और अनुसूचित जातियों को आवंटित भूमि को दुरुस्त करने के साथ-साथ उन्हें अपने खेत के सुधार कार्यों में मनरेगा के तहत रोजगार भी मिलेगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।योजना के तहत चयनित परियोजना क्षेत्र में शत-प्रतिशत अनुदान पर बीहड़, बंजर भूमि सुधार और क्षेत्र सुधार का कार्य राज्य सेक्टर से कराया जा रहा है, जबकि जलभराव वाले क्षेत्रों का उपचार कार्य मनरेगा के माध्यम से किया जा रहा है।सुधार की गई भूमि पर जरूरत के हिसाब से कृषि वानिकी, उद्यानीकरण के साथ ही फसलों का उत्पादन भी किया जाएगा।

उपचारित क्षेत्र में 50 प्रतिशत अनुदान पर फसलों का उत्पादन कराने का प्रावधान है।इस योजना से कृषि उत्पादन, किसानों की आय और भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, अनुमान है कि अगले पांच सालों में दो करोड़ मानव दिवस भी सृजित होंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017-18 से 2021-22 तक भी किसान समृद्धि योजना चलाई गई थी।

इन पांच वर्षों में प्रदेश की 1 लाख 57 हजार 190 हेक्टेयर क्षेत्रफल भूमि को कृषि योग्य और अधिक उपजाऊ बनाया जा चुका है। इस पर 332 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। उस दौरान परियोजना क्षेत्र में विभिन्न फसलों के लिए 58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।साथ ही, उपचारित क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि हुई थी और भूजल स्तर में 1.42 मीटर की वृद्धि देखी गई थी।इस योजना के सफल क्रियान्वयन से उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिलने की उम्मीद है, जिससे किसानों की समृद्धि के साथ-साथ राज्य की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी। यह पहल प्रदेश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

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