भारत आजादी के 75 सालों बाद लगातार तरक्की करने के पीछे भारतीय संविधान का अहम रोल है। मुख्य न्यायाधीश भारत।
न्याय के क्षेत्र में इलाहाबाद का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है।
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शपथ लेने के बाद मेरा सौभाग्य है कि पहला ऑफिशियल प्रोग्राम इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मिला।स्वतंत्रता आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद के बलिदान को देश सैल्यूट करता है।
स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो।प्रयागराज से दया शंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट।
भारत के चीफ जस्टिस भूषण राम गवई ने कहा कि भारत आजादी के 75 सालों बाद लगातार तरक्की कर रहा है।इसके पीछे भारतीय संविधान का अहम रोल है।बाजू के देशों में बड़ी परेशानियां चल रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश गवई 680 करोड़ की लागत से बने इलाहाबादएडवोकेट चैंबर व बहुमंजिला पार्किंग का उद्घाटन करने के बाद एक भव्य समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा किओथ लेने के बाद यह मेरा पहला ऑफिशियल प्रोग्राम इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मिला यह मेरा सौभाग्य है।
प्रयागराज से मेरा बहुत नजदीक का रिश्ता रहा है। 2019 में जब मैं सवोच्च न्यायालय पहुंचा तो जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस कृष्ण मुरारी और बाद में जस्टिस विक्रम नाथ से पारिवारिक रिश्ते बने।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि योगी जी तो पावरफुल हैं ही, पर इलाहाबाद भी कम पावरफुल लोगों की धरती नहीं है। विक्रम नाथ भी देश के सबसे मजबूत न्यायाधीशों में से एक हैं।उनके निमंत्रण को अस्वीकार करने की मुझमें हिम्मत नहीं थी।लेकिन उन्होंने आज सच नहीं बोला, उनको डिफेंड करने की मुझमें हिम्मत नहीं है. इसलिए कहूंगा कि इलाहाबाद बार बहुत ही अनुशासित बार है।

सीजेआई ने कहा कि न्याय के क्षेत्र में इलाहाबाद का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है।मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू जैसे अधिवक्ता हुए तो वहीं महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे साहित्यकार भी दिए। स्वतंत्रता आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद के वरदान को देश सैल्यूट करता है। आजादी के आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता।
बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि हमारे आजू–बाजू के देशों में बड़ी परेशानियां चल रही हैं। भारत आजादी के 75 सालों बाद लगातार तरक्की कर रहा है।इसके पीछे भारतीय संविधान का अहम रोल है।
सीजेआई ने कहा कि अधिवक्ताओं को जो चैंबर और पार्किंग मिली है यह अद्भुत है। इतनी बड़ी और सुविधा युक्त इमारत मेरी जानकारी में पूरी दुनिया में नहीं होगी।इसके लिए मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।
मुख्यमंत्री ने न्यायमूर्तियों का ही नहीं वकीलों का ही नहीं, बल्कि आम आदमी का भी ध्यान दिया है। मुख्यमंत्री ने वादकारियों के लिए जो नए भवन के निर्माण की स्वीकृति दी है यह काबिले तारीफ है।यह भी कहा कि बेहतर न्याय व्यवस्था के लिए बार और बेंच का अच्छा तालमेल होना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि 1973 से पहले जब मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्यों के बीच में टकराव होता था तो मौलिक अधिकार को वरीयता दी जाती थी। लेकिन 1973 केशवानंद भारती का मामला आया जिसमें बुनियादी संरचना का सिद्धांत दिया गया। इस सिद्धांत का अनुसरण करते हुए 50 साल हो गया है। बार और बेंच को बिना साथ लेकर चले हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। यह निर्माण कार्य सभी हाईकोर्ट के लिए आदर्श है। इससे प्रेरणा लिया जा सकता है।
सीजेआई ने कहा कि हमारे देश का संविधान 75 साल में मजबूती की ओर है। भारत प्रगति की ओर बढ़ रहा है। भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति क्या है बताने की जरूरत नहीं है। देश का नागरिक न्याय के लिए आता है। उसका पूरा ख्याल हाईकोर्ट में रखा जाता है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अंबेडकर ने अंतिम ड्राफ्ट सामने रखा और जो भाषण दिया वह देश को एक दिशा देने वाला संबोधन था। कहा था कि आज हम वन पर्सन, वन वोट और वन वैल्यू की ओर जा रहे हैं। बाबा साहब ने चेतावनी दी कि जब तक हम देश में आर्थिक असमानता दूर नहीं कर पाएंगे तब तक देश में लोकशाही स्थापित नहीं कर पाएंगे।
केंद्रीय विधि राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल बोले कि यदि जल्दी कार्य करना है तो योगी से सीख सकते हैं। पूरा देश अहिल्याबाई की त्रिशताब्दी जयंती मना रहा है। न्यायिक व्यवस्था के लिए निर्माण होना चाहिए यह अहिलाबाई का मंत्र है। संविधान को लागू हुए 75 वर्ष हो गया है। हमारे देश में शासन और प्रशासन की व्यवस्था अच्छी तरह से चल रही है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी। प्रयागराज महाकुंभ के लिए पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने यूपी सरकार से कहा....हाईकोर्ट की इस बिल्डिंग के तर्ज पर प्रदेश के जिला अदालतों की आधारभूत संरचना पर ध्यान दे। उन्हें भी विकसित करें।सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस सूर्यकांत ने संबोधित किया। इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश ने सभी न्यायाधीशो और अधिवक्ताओं का स्वागत किया।
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