सोनभद्र में आदिवासियों का हुंकार सिंचाई बांध और भूमि पट्टा घोटाला, बड़े आंदोलन की चेतावनी
संबंधित अधिकारियों की उपेक्षा से जनपद में बढ़ रही है जमीन संबंधित विवाद, लोगों ने लगाया राजस्व रिकार्ड में हेर फेर का आरोप
ओबरा तहसील क्षेत्र का मामला, लोगों ने दिया आंदोलन की चेतावनी
अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
28 मई, 2025 आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र जिले में जमीन और सिंचाई से जुड़ी दो प्रमुख मांगों को लेकर आदिवासियों का गुस्सा फूट पड़ा है। ग्राम पंचायत बेलछ ब्लॉक छपका, रावटसगंज के टेढ़ुआ नाले पर खेतों की सिंचाई के लिए बांध बनाए जाने और ग्राम पंचायत जुगैल के बड़का डाड़ में 18 आदिवासियों की जोत-कोड़ की जमीन को गलत तरीके से अन्य लोगों के नाम पट्टा किए जाने का मामला अब गंभीर रूप धारण कर चुका है।

इन दोनों मुद्दों पर मजिस्ट्रेट स्तर की जांच और जांच पूरी होने तक किसी भी तरह के जोत-कोड़ पर रोक लगाने की मांग को लेकर आज आदिवासी विकास मंच और इंटक सोनभद्र ने जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया।आदिवासी विकास मंच के संयोजक और इंटक सोनभद्र के जिलाध्यक्ष हरदेवनारायण तिवारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल में इंटक के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बृजेश तिवारी, शमीम अख्तर खान, हरिशंकर गौड़, राजाराम भारती, रामजियावन गौड़, चंदर, शिवपूजन, कौशल्या देवी, कुंती देवी, मुन्नी देवी, शिव कुमारी देवी, सुखनी देवी, सुरेंद्र आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।
इंटक के जिलाध्यक्ष और आदिवासी विकास मंच सोनभद्र के संयोजक हरदेवनारायण तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वर्ष 2016 से आदिवासी क्षेत्र ग्राम पंचायत बेलछ, रुदौली, मकरीबारी के लगभग 25,000 आबादी के जीविकोपार्जन हेतु 25,000 बीघा भूमि की सिंचाई के लिए टेढ़ुआ नाले पर बांध बनाए जाने की मांग लगातार मुख्यमंत्री, सिंचाई मंत्री और जिला प्रशासन से की जा रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन की ओर से मुख्य विकास अधिकारी, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग और लघु सिंचाई विभाग द्वारा मौके का परीक्षण भी किया गया, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई आगे न बढ़ाने के कारण उक्त क्षेत्र के आदिवासियों में व्यापक रोष बढ़ता जा रहा है। उनकी मानें तो सिंचाई के अभाव में हजारों बीघा कृषि भूमि बंजर पड़ी है, जिससे आदिवासियों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है।
इंटक के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष और कांग्रेस नेता बृजेश तिवारी ने जुगैल के बड़का डाड़ के 18 आदिवासियों की जमीन के गलत पट्टे के मामले को अत्यंत गंभीर बताया। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि प्रशासन द्वारा समय रहते इस मामले की मजिस्ट्रेट स्तर की जांच नहीं कराई जाती है और आदिवासियों को उनका हक नहीं मिलता, तो उत्तर प्रदेश के इतिहास में उम्भा जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना (जिसमें जमीन विवाद को लेकर हिंसक झड़प हुई थी) से इनकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने प्रशासन से इस मामले की शीघ्र और निष्पक्ष जांच कर पीड़ित आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग की।उस क्षेत्र के आदिवासी विकास मंच के सह-संयोजक हरिशंकर गौड़, शमीम अख्तर खान और राजाराम भारती ने संयुक्त रूप से कहा कि यदि इन दोनों समस्याओं का समाधान शीघ्र नहीं किया गया, तो आदिवासी समाज को अपने हक के लिए बड़ा और निर्णायक आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।आदिवासियों के इस प्रदर्शन ने जिला प्रशासन पर इन लंबित और संवेदनशील मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा दिया है, ताकि क्षेत्र में शांति और न्याय स्थापित हो सके।

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