सोनभद्र में रेलवे सुरक्षा पर लगे गंभीर आरोप,चलती ट्रेन में जहरखुरानी और जीआरपी की लापरवाही उजागर
मानवता को कलंकित करने वाला जीआरपी चोपन का चेहरा, लोगों ने किया अपराधी सहित नशेड़ियों के ऊपर नकेल कसने की मांग
स्थानीय लोगों ने खड़ा किया जीआरपी चोपन के ऊपर गंभीर सवाल
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
एक बार फिर सोनभद्र रेलवे क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लग गए हैं। प्रयागराज से सोनभद्र लौट रहे 55 वर्षीय दीनानाथ विश्वकर्मा चलती ट्रेन में जहरखुरानी का शिकार हो गए, जिसके बाद उन्हें न केवल अपनी संपत्ति गंवानी पड़ी, बल्कि उन्हें रेलवे पुलिस की कथित लापरवाही का भी शिकार होना पड़ा।

यह घटना रेलवे प्रशासन और रेलवे सुरक्षा बल (GRP) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।सेक्टर 10 ओबरा, सोनभद्र निवासी दीनानाथ विश्वकर्मा अपने निजी आवास प्रयागराज से वापस आ रहे थे। ट्रेन यात्रा के दौरान उन्हें जहरखुरानी का शिकार बनाया गया। इस दौरान ट्रेन में सक्रिय उच्चकों (अपराधियों) ने उनका मोबाइल फोन, नकदी और पहचान का महत्वपूर्ण दस्तावेज, उनका आधार कार्ड भी चुरा लिया।

चोपन स्टेशन पर जब दीनानाथ को थोड़ा होश आया, तो उन्होंने ट्रेन से उतरने का प्रयास किया। इसी कोशिश में वे लड़खड़ाकर गिर पड़े, जिससे उन्हें चोटें आईं और उनकी शारीरिक स्थिति और खराब हो गई। घटना की सूचना रेलवे पुलिस को दी गई, जिसके बाद उनके छोटे भाई हरिओम विश्वकर्मा चोपन स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां दीनानाथ विश्वकर्मा का उपचार जारी है।

इस घटना का सबसे चिंताजनक पहलू रेलवे पुलिस (GRP) की भूमिका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, दीनानाथ विश्वकर्मा लगभग चार घंटे तक चोपन रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर अर्द्ध-बेहोशी की हालत में पड़े रहे। बावजूद इसके, रेलवे पुलिस ने बिना कोई प्राथमिक उपचार या मदद उपलब्ध कराए उन्हें वहीं छोड़ दिया। जीआरपी का यह "मूकदर्शक" रवैया न केवल अमानवीय है, बल्कि उनकी कर्तव्यनिष्ठा पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। किसी भी आपातकालीन स्थिति में यात्रियों की मदद करना और उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना रेलवे पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य है।
जिसमें वे इस मामले में पूरी तरह विफल रहे।यह घटना एक बार फिर इस बात को उजागर करती है कि भारतीय रेलवे में यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है। चलती ट्रेनों में जहरखुरानी, चोरी और अन्य आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन रेलवे प्रशासन और सुरक्षा बल इन पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल दिख रहे हैं। सुरक्षा के नाम पर तैनात कर्मचारी अक्सर अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरतते पाए जाते हैं, जिसका खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ता है।दीनानाथ विश्वकर्मा के साथ हुई यह घटना एक चेतावनी है कि रेलवे सुरक्षा प्रणाली में तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
यात्रियों की जान और माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना रेलवे प्रशासन और सुरक्षा बलों का परम कर्तव्य है, और इस कर्तव्य के निर्वहन में किसी भी प्रकार की लापरवाही अक्षम्य है।जहरखुरानी और चोरी जैसे अपराधों में शामिल गिरोहों की पहचान कर उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि अपराधियों में भय पैदा हो।जीआरपी कर्मियों को न केवल अपराध से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें यात्रियों के प्रति अधिक संवेदनशील और मददगार बनाने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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