"फर्जी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों की ठगी, निर्दोष की गई जान
प्राथमिकी में प्रमुख नाम अजय कुमार गौतम, एवं अनुज कुमार सिंह के शामिल होने की बात कही गई है।
सचिन बाजपेई
स्वतन्त्र प्रभात लखनऊ
राजधानी में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है जिसमें "शुभ ग्रीन सिटी" नामक एक फर्जी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के जरिये आम जनता से करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप है। इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्रार्थी मिथलेश चौरसिया द्वारा पुलिस को दी गई तहदीर में बताया कि अलग-अलग नामों से पंजीकरण कराकर लोगों को सस्ते प्लॉट देने का झांसा दिया गया। और ठगो के एक समूह ने बड़ी संख्या में धन उगाही को अंजाम दिया और फरार हो गए
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शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने नकली दस्तावेज, रजिस्ट्री प्रमाण पत्र, ग्राम पंचायत के कागजात और कंपनी के फर्जी पंजीकरण दस्तावेज दिखाकर लोगों को विश्वास में लिया और उनसे रजिस्ट्री व प्लॉट बुकिंग के नाम पर मोटी रकम वसूली।
प्रमुख आरोपी:
FIR में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें शामिल हैं:
1. संदीप कुमार निवासी बाराबंकी
2. अजय कुमार गौतम पुत्र सुंदर लाल निवासी श्रवणपुर बाराबंकी
3. अनुज कुमार सिंह पुत्र रूप सिंह निवासी इंदिरा नगर लखनऊ
4. आनंद कुमार उर्फ ए पी सिंह

प्राथमिकी में प्रमुख नाम अजय कुमार गौतम, एवं अनुज कुमार सिंह के शामिल होने की बात कही गई है। यह सभी लोग "शुभ इनफ्रालाइफ प्राइवेट लिमिटेड" नामक कंपनी से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं, जिसका पता गोमती नगर, लखनऊ दर्ज है। शिकायतकर्ता ने बताया कि जब निवेशक रजिस्ट्री करवाने के लिए संपर्क करते थे, तो आरोपी टालमटोल करते थे और जबरन पैसे की मांग करने लगते थे। विरोध करने पर उन्हें धमकाया गया और गाली-गलौज की गई।
इस ठगी के चलते कई लोग मानसिक तनाव में हैं और एक निवेशक चंद श्रीवास्तव ने आत्महत्या तक कर ली। इस मामले में दर्ज FIR संख्या 2004730594 के अनुसार जाँच अधिकारी ज्ञान प्रकाश सिंह को नियुक्त किया गया है और धारा 420, 406 समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है l
शिकायतकर्ता का दावा है कि यह पूरा फर्जीवाड़ा 2019 से लगातार चल रहा था, लेकिन प्रशासन और पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। आरोपियों ने पब्लिक प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का भी प्रयोग किया जिससे इस योजना को वैध दिखाया जा सके, बावजूद इसके स्थानीय स्तर पर जांच या रोकथाम नहीं की गई।
इतना बड़ा नेटवर्क चलाने के लिए प्रभावशाली राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण की आशंका भी जताई गई है। शिकायत में यह भी बताया गया है कि ठगी का शिकार होने वाले कई लोगों ने आर्थिक और मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या तक कर ली। इससे प्रशासन की निष्क्रियता और लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पुलिस अब इस प्रकरण में आरोपियों की भूमिका और फर्जी दस्तावेजों की जाँच में जुटी है। आमजन से अपील की गई है कि वे किसी भी रियल एस्टेट निवेश से पहले कंपनी की वैधता और जमीन के दस्तावेजों की पुष्टि जरूर करें।

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