डाला नगर पंचायत क्षेत्र में साया मातम , सात दिनों में सात परिवारों ने खोए अपने प्रियजन

असामयिक मौतों से स्थानीय नगर पंचायत के लोग हतप्रध

डाला नगर पंचायत क्षेत्र में  साया मातम , सात दिनों में सात परिवारों ने खोए अपने प्रियजन

डाला नगर पंचायत का मामला

अजीत सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र / उत्तर प्रदेश-

सोनभद्र जिले के डाला नगर पंचायत क्षेत्र में इन दिनों शोक की गहरी छाया पसरी हुई है। बीते सात दिनों में सात अलग-अलग परिवारों ने अपने घरों के अनमोल दीपक खो दिए हैं। किसी को अचानक आई बीमारी ने छीन लिया, तो किसी की जान तेज रफ्तार वाहन के पहियों ने ले ली। पूरे इलाके में एक खामोश मातम पसरा हुआ है, हर गली से सिसकियों की आवाजें आ रही हैं, हर चेहरे पर दुख की गहरी छाप है और हर दरवाजे पर शोक संदेश चिपका हुआ है।

सबसे ज़्यादा पीड़ादायक घटना वार्ड नंबर 7 से सामने आई, जहाँ स्वर्गीय केशवराम के पुत्र बेचू चंदौली में एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए। हर दिन की तरह घर से निकले बेचू को यह कहाँ पता था कि यह उनकी अंतिम यात्रा होगी। अनियंत्रित गति और लापरवाही ने पल भर में उनकी जिंदगी समाप्त कर दी। उनके पीछे एक बिखरा हुआ परिवार रह गया, जिनकी आँखों में आँसू और दिल में गहरी पीड़ा है।

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इसी वार्ड में एक और दुखद कहानी है नगर पंचायत की सभासद दीक्षा पटेल की माता, रोमा देवी की। स्वस्थ, कर्मठ और मिलनसार स्वभाव की रोमा देवी, जो आज़ाद भाई पटेल की पत्नी थीं, अचानक बीमार पड़ गईं। उनके पुत्र अंशु पटेल ने उन्हें तुरंत वाराणसी के एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ उन्होंने कई दिनों तक जीवन के लिए संघर्ष किया, लेकिन पिछले रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

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रोमा देवी न केवल अपने परिवार का आधार थीं, बल्कि पूरे मोहल्ले में उनका बहुत सम्मान था। उनके निधन से न केवल उनका घर, बल्कि पूरा वार्ड सूना हो गया है। शोक की इस घड़ी में दीक्षा पटेल अपनी माँ के अंतिम स्पर्श को याद कर गहरे दुख में डूबी हुई हैं।

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इसी वार्ड के श्याम बिहारी जी, जो लंबे समय से बीमार चल रहे थे, उनका भी दुखद निधन हो गया। वे एक अत्यंत सज्जन, सरल स्वभाव और धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनके जाने से पूरे मोहल्ले में सन्नाटा छा गया है।

वार्ड नंबर 4 में भी गम का माहौल गहरा गया, जब नागेश्वर प्रसाद की अचानक तबीयत बिगड़ी और अस्पताल पहुँचने से पहले ही उनकी सांसें थम गईं। वे अपने सीधे और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे। मोहल्ले के लोगों ने उन्हें हमेशा एक बड़े-बुजुर्ग की तरह सम्मान दिया।

वार्ड नंबर 5 भी इस दुख की श्रृंखला से अछूता नहीं रहा। बजरंगी लाल जी की पत्नी लालमुनी और दुखहरन जी की पत्नी शांति दोनों ने बीमारी से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी। दोनों महिलाएं अपने-अपने परिवार की आधारशिला थीं। उनके निधन से घर की रसोई का चूल्हा भी शांत हो गया, और परिवारों की खुशियाँ मानो उनके साथ ही चली गईं।

अंतिम और सबसे कम उम्र की दुखद मौत वार्ड नंबर 10 कोलान बस्ती में हुई। मल्लू, जिसकी उम्र केवल 25-26 वर्ष थी, एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। उसकी असामयिक मृत्यु ने पूरे मोहल्ले को गहरे शोक में डुबो दिया है। एक युवा की इस तरह अचानक मौत ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि काश इलाज समय पर और प्रभावी होता।

इन सात दिनों में हुई सात असामयिक मौतों ने पूरे नगर पंचायत को हिला कर रख दिया है। हर सुबह एक नया मातम लेकर आती है, और हर शाम एक और रोते हुए घर का दृश्य देखने को मिलता है। स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन मृतकों के परिवारों को तत्काल सहायता प्रदान करे, बीमारी और सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता अभियान चलाए, और हर वार्ड में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए। यह समय पूरे समुदाय के लिए एकजुट होकर शोक संतप्त परिवारों का समर्थन करने और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए कदम उठाने का है।

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