भगवान श्रीकृष्ण  सुदामा की मित्रता की मंचन देख दर्शक हुए भाव विभोर

भगवान श्रीकृष्ण  सुदामा की मित्रता की मंचन देख दर्शक हुए भाव विभोर

सिद्धार्थनगर। भनवापुर क्षेत्र के महादेव गजपुर गांव में चल रहे नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ में  रासलीला के आठवें दिन रविवार की रात वृन्दावन से आए बाल कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण व मित्र सुदामा के मिलन की लीला भावपूर्ण मंचन किया। मंचन देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए। वृंदावन से आए हुए कलाकारों द्वारा प्रभु व भक्त के मिलन को दर्शाया गया। कलाकारों ने अपने अभिनय के माध्यम से दर्शाया कि गुरु, मित्र, बहन, बेटी और भगवान के घर कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए।
 
सुदामा की पत्नी के बार-बार कहने पर जब सुदामा अपने बचपन के मित्र द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के पास जाने को तैयार हुए तो सुशीला ने पड़ोस से चावल लाकर अपने पति सुदामा को दिए और कहा कि इन्हें अपने मित्र को दे देना। जब सुदामा दीन-हीन दशा में द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण भगवान के महल पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। सुदामा ने द्वारपालों को बताया कि वह भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र हैं। जब श्रीकृष्ण ने यह सुना तो नंगे पैर ही दौड़कर अपने मित्र सुदामा के पास पहुंचे और उन्हें छाती से लगा लिया। 
 
 श्रीकृष्ण ने मित्र सुदामा के अपने हाथों से पैर धोए। सुदामा की कांख में दबी पोटली को छीनकर उसमें दो मुट्ठी चावल खाते ही दो लोकों का राज्य सुदामा को दे दिया। सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता को देखकर उपस्थित दर्शकों की आंखें नम हो गईं। भगवान श्री कृष्ण व सुदामा चरित्र में दिखाया गया कि भगवान भक्त की अंतर्मन को जानते हैं। यही कारण है कि सुदामा के बिन मांगे ही भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सब दे दिया।
इस दौरान आचार्य दुर्गेश शुक्ल,आयोजक जगराम यादव, प्रधान श्यामसुंदर पान्डेय, संतोष गुप्ता, राजेन्द्र , जग्गी लाल , बुद्धिराम विश्वकर्मा आदि भारी संख्यां में श्रद्धालु मौजूद रहे।
 
 
 

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