आंकड़े बता रहे हैं भाजपा का होगा मुख्यमंत्री
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समर में भाजपा अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने विपक्ष को चारों खाने चित्त मारा है। सभी राजनीतिक पण्डितों और राजनीति में रूची रखने वाले लोगों को लग रहा था कि महाराष्ट्र में भाजपा और सहयोगी दलों के महायुति गठबंधन को विपक्ष का कांग्रेस और सहयोगी दलों का महाविकास अघाड़ी गठबंधन कांटे की टक्कर देगा। नतीजे आने से पहले ज्यादातर विश्लेषक दोनों गठबंधन के बीच जबरदस्त मुकाबले का अनुमान लगा रहे थे और एग्जिट पोल भी ऐसा ही कुछ दिखा रहे थे परन्तु नतीजों ने सब को चौंका दिया। भाजपा, शिवसेना (एसएचएस) और एनसीपी के सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा की 236 जीत विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), राकांपा (शरदचंद्र पवार), सपा आदि शामिल थे को मात्र 49 सीटों पर समेट दिया। यह महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के इतिहास में किसी पार्टी या गठबंधन को अब तक मिली सर्वाधिक सीटें हैं। इससे पहले 1972 में कांग्रेस को 222 सीटें मिली थीं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। भाजपा नें 145 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से 124 सीटों पर उसने जीत हासिल की, शिवसेना (एसएचएस) यानि महायुति गठबंधन सरकार के सी.एम रहे एकनाथ शिंदे की पार्टी ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से 55 सीटों पर उसके उम्मीदवार विजयी रहे। महायुति गठबंधन के तीसरे दल अजित पवार की एनसीपी ने 59 विधानसभा पर उम्मीदवार उतारे जिसमें से उसके 37 प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे। वहीं महाविकास अघाड़ी की कांग्रेस को 16, शिवसेना (यूबीटी) को 20 और राकांपा (शरदचंद्र पवार) को 10 सीटों पर ही विजय श्री का आशीर्वाद लोगो ने दिया। छह महीने पहले लोकसभा चुनाव हुए थे तब लोकसभा की 48 सीटों में 30 पर कांग्रेस नेतृत्व वाले आईएनडीआईए गठबंधन को जीत हासिल हुई थी।
अगर इस जीत को वोटों के हिसाब से विधानसभा क्षेत्रों में बदल दिया जाए तो ये करीब 153 सीटें होती हैं, मगर इस विधानसभा चुनाव के दौरान महाविकास अघाड़ी सिर्फ 49 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। लोकसभा चुनावों में हार के बाद महायुति ने अपनी रणनीति में बदलाव किए। लाडली बहना योजना के जरिए से महायुति सरकार ने राज्य की महिलाओं को साधा। हर महीने दो करोड़ से ज्यादा महाराष्ट्र की महिलाओं के खाते में 1500 रुपये की राशि पहुंची। इस योजना के चलते महिलाओं का एकतरफा वोट महायुति के पक्ष में गया। महाराष्ट्र से पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी इसी योजना ने बीजेपी को बंपर जीत दिलवाई थी। विधानसभा चुनावों से पहले हिन्दू वोटों को एकजुट करने में महायुति पूरी तरह कामयाब रही। सीएम योगी आदित्यनाथ के बंटोगे तो कटोगे का नारा दिया तो पीएम मोदी के एक हैं तो सेफ हैं के नारा ने हिंदू वोटरों को एकसाथ कर दिया।
जो वोट लोकसभा चुनाव के समय जातियों में बंट गया तो वह विधानसभा चुनाव आते-आते पीएम मोदी और सीएम योगी जैसे नेताओं के नारों से हिंदुत्व वोटों में एकजुट हो गया। लोकसभा चुनावों से प्रभावित हो महायुति और एमवीए की लड़ाई टक्कर की मानी जा रही थी, वह लडाई नतीजों में एकतरफा महायुति के पक्ष में हो गई। इन चुनावों में सबसे बड़ा झटका मनसे के राज ठाकरे और एअईएमअईएम के ओवैसी की उम्मीदों को लगा। दोनो ही दल एक भी सीट नही जीत पाए। राज ठाकरे के खुद का बेटा भी चुनाव हार गया। मनसे का आस्तित्व अब लगभग समाप्त हो गया है। महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति बनाने के लिए महायुति दलों की बैठकों का दौर जारी है। भाजपा सब से ज्यादा सीट जीत इस पद की सबसे बड़ी दावेदार है।
बुधवार को महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट सुप्रीमों एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से उनके दिल्ली निवास पर मुलाकात की, इस मीटिंग में जे.पी.नड्डा भी शामिल रहे। मीटिंग करीब तीन घंटे चली, मीटिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत मे शिंदे ने कहा है कि ये मीटिंग अच्छी और सकारात्मक रही। शिंदे के मुताबिक महायुति के नेता मुंबई में एक और बैठक करेंगे जिसमें सीएम के नाम पर फैसला लिया जाएगा। आजादी के बाद बॉम्बे राज्य 1950 में तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी से अलग करके बनाया गया था। बॉम्बे राज्य में कई क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिनमें सौराष्ट्र और कच्छ राज्य भी शामिल थे यानि आज के महाराष्ट्र और गुजरात के इलाके, 1 मई 1960 को भाषाई आधार पर बॉम्बे राज्य दो राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र में बांट दिया गया।
कांग्रेस ने आजादी के तीन दशकों तक बॉम्बे राज्य और फिर महाराष्ट्र पर अपनी पकड़ बनाए रखी। उसके बाद क्षेत्रियों दलों का उभार शुरू हुआ। 80 के दशक के मध्य शरद पवार ने कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह किया। पवार ने जनता पार्टी और समाजवादी दलों के साथ हाथ मिलाकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (समाजवादी) का गठन किया और जुलाई 1978 में महाराष्ट्र के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। इसके बाद के चुनाव में कांग्रेस सत्ता में फिर वापिस आई। बाबरी मस्जिद टूटने के बाद 1992 के बॉम्बे में भयानक दंगे हुए। 1993 में सीरियल बम धमाकों हुए और महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया दौर शुरू हो गया। 1995 शिवसेना ने भाजपा के गठबंधन से सरकार बनाई। शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने। महाराष्ट्र की राजनीति में बाल ठाकरे को किंग मेकर का दर्जा मिला।
1999 से 2014 तक कांग्रेस और अन्य दलों ने मिलकर सरकार बनाई। इस बीच महाराष्ट्र ने कांग्रेस के 6 मुख्यमंत्री देखे। 2014 में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने। 2019 में उद्धव ठाकरे यूपीए के सहयोग से मुख्यमंत्री बने और 2022 में शिवसेना दो गुंटों में बंट गई। 2022 में शिवसेना शिंदे गुट के एकनाथ शिंदे भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बने। अब महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है। हालात और आंकड़े साफ दर्शा रहे हैं की अगला मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा।
(नीरज शर्मा'भरथल')
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