Kushinagar : हाथी ना घोड़ा ना कौनों सवारी पैदल ही मां दुर्गा को माथे पर रख विसर्जन को निकल पड़े भक्तजन
खिरकिया के पवित्र झरही नदी में देवी देवताओं को किया गया मूर्ति विसर्जित
कुशीनगर। "हाथी न घोड़ा ना कौनों पैदल यात्रा ही अइबो तोर दुआरी हे मां" शायद ऐसी ही कल्पना साकार करते हुए सिंधूआ बाजार से मां के भक्तों ने मां, दुर्गा आदि सभी देवी देवताओं को 4 किमी की पैदल यात्रा पर निकल पड़े। जिसने जहां देखा वहीं भक्ति मार्ग में श्रद्धा सुमन चर्चा का विषय बन रही है।
ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित दुर्गा प्रतिमाओं का शनिवार को खिरकिया घाट झरही नदी में विसर्जन किया गया। इसके पूर्व में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा महिलाओं ने खोइछा भराई की बारात पूरी तरह से स्थापित की। दुर्गा पूजा सेवा समिति के आयोजकों ने देवी मां की प्रतिमा को चार किलोमीटर की दूरी पर पैदल यात्री झराई नदी तट पर स्थापित किया। जहां मां दुर्गा लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश श्री कार्तिकेय जी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। इस विदाई यात्रा में संतोष गुप्ता साधु बाबा, आनंद वर्मा, राजू कुशवाहा, अर्जुन कुशवाहा, जितेंद्र वर्मा, सुदर्शन मधेशिया, गुड्डू वर्मा, अजय कुशवाहा,आनंद वर्मा, श्रीमती कुशवाहा, मनोज वर्मा, आदिवासी बर्मा, हरि कुशवाहा, अमरजीत कुशवाहा, सुरेश दास ,मुन्ना भारती, सुरुज गुप्ता आदि लोग मौजुद रहे।
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