साहस और विनम्रता की प्रति मूर्ति थी नीलम करवरिया।
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प्रयागराज। बिरांगना और विनम्रता की प्रति मूर्ति स्वर्गीय नीलम करवरिया नही रही। जब पति सहित परिवार के सारे पुरुष सदस्य जेल की सलाखों में थे तब वह वीरांगना की तरह राजनीति में प्रवेश किया । और पति श्रीउदय भान करवरिया जेष्ठ श्री कपिल मुनि करवरिया देवर श्री सूरज भान करवरिया की राजनीतिक विरासत को जिंदा रखने का हौसला दिखाया। और मेजा विधान सभा का चुनाव जीत कर खानदानी जनसेवा को जिंदा रखा । और विनम्रता के साथ अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में अपने विरोधी को भी आलोचना करने का मौका नहीं दिया । और पूरे जनपद में करवरिया परिवार से राजनीतिक संबंध रखने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपने स्नेह से बांधे रखा।
लेकिन इतने बड़े बोझ को शायद वह उठाने में आगे थक गई। और ईश्वर ने उन्हें अपने चरणों में बुला लिया।लेकिन उन्होंने करवरिया परिवार तथा अपने छेत्र की जनता का कर्ज उतारने में सफल रही। उल्लेखनीय है की करवरिया परिवार ही शायद उत्तर प्रदेश में एक ऐसा परिवार था जिनमे तीनो भाई कपिल मुनि करवरिया उदय भान करवरिया और सूरज भान करवरिया तीनो चुनाव जीतकर संसद और लखनऊ विधान सभा के सदस्य थे।अपने जनसेवा के बल पर पूरे जनपद में लोकप्रिय थे। ऐसी विनम्रता कर्मठता और साहस की प्रति मूर्ति नीलम की मृत्यु को सुन कर न केवल उनका परिवार बल्कि पूरे जनपद के लोग मर्माहत है।
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