सुप्रीम कोर्ट ने आप प्रमुख केजरीवाल को जमानत दी,।
एक जज ने कहा- सीबीआई गिरफ्तारी गलत।
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ब्यूरो स्वतंत्र प्रभात। जेपी सिंह
कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले में पहली बार गिरफ्तार होने के छह महीने बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। हालाँकि, सर्वसम्मति से जमानत देने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के बीच केजरीवाल की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी की वैधता पर मतभेद था। जस्टिस कांत ने गिरफ्तारी को बरकरार रखा, लेकिन जस्टिस भुईया ने केजरीवाल को गिरफ्तार करने की आवश्यकता और अनिवार्यता के बारे में अलग राय रखी।
जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई गिरफ्तारी गलत थी, जबकि जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि गिरफ्तारी लीगल थी। जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी शायद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामले में केजरीवाल को जमानत देने को विफल करने के लिए ही थी।जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल को इस केस पर टिप्पणी करने से कोर्ट ने रोक लगा दी है।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि वो किसी फाइल पर न साइन करेंगे और न ही सीएम ऑफिस जाएंगे। ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही अंतरिम जमानत मिलने के बाद केजरीवाल अब जेल से बाहर आएंगे। आप नेताओं मनीष सिसौदिया, संजय सिंह, विजय नायर और भारत राष्ट्र समिति की के. कविता के बाद केजरीवाल इस मामले में जेल से बाहर आने वाले चौथे हाई-प्रोफाइल नेता बन गए हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के मुद्दे को रेखांकित किया है। जस्टिस भुइयां ने भी दिल्ली के सीएम को नियमित जमानत देने के मुद्दे पर जस्टिस कांत से सहमति जताई है।जस्टिस भुइयां ने दिल्ली के सीएम को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार करने के समय और तरीके पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ''असहयोग का मतलब आत्म-दोषारोपण नहीं हो सकता, और इसलिए, इस आधार पर सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी अस्वीकार्य थी।''
जस्टिस भुइयां ने कहा कि जमानत एक नियम है, और जेल एक अपवाद है। सभी अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अभियोजन और मुकदमे की प्रक्रिया अपने आप में सज़ा का रूप न बन जाए।” जस्टिस भुइयां ने कहा किसीबीआई को यह तय करना चाहिए कि उसे 'पिंजरे में बंद तोता' होने की धारणा से बाहर निकलना होगा। इससे ऊपर होना चाहिए।
दिल्ली शराब नीति घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने और जमानत मांगने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने फैसला सुनाया।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया। दोनों जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए।जस्टिस कांत ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी थी और इसमें कोई प्रक्रियागत अनियमितता नहीं थी। इस तर्क में कोई दम नहीं है कि सीबीआईने उन्हें गिरफ्तार करते समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के आदेश का पालन नहीं किया।साथ ही दोनों जज केजरीवाल को जमानत देने के फैसले पर एकमत थे, क्योंकि मामले में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है।
निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना नहीं है।
केजरीवाल की वर्तमान याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के 5 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका को एकल न्यायाधीश की पीठ ने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता के साथ खारिज कर दिया था। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार करने को चुनौती देते हुए एक और विशेष अनुमति याचिका भी दायर की थी।
केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून, 2024 को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था, जब वे कथित शराब नीति घोटाले से उत्पन्न मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में थे। कुछ सप्ताह बाद 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दी, जबकि ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को एक बड़ी पीठ को भेज दिया। हालांकि, सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी ,जो 21 मार्च से शुरू हुई, के कारण वे हिरासत में बने रहे।
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