राधाष्टमी पे लाडली जी के दर्शन नाएं ’सुकारे’
लडली जी मंदिर तक पहुंचने के लिए तय करना होगा 15 किमी का पैदल रास्ता
श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन ने तैयार किया है नए रूट प्लान
मथुरा। राधाष्टमी पर लडली जी मंदिर पहुंच कर राधारानी के दर्शन करने की लालसा लाखों लाख श्रद्धालुओं के हद्य में है। लेकिन इस अवसर पर दर्शन इनते सुकारे नहीं हैं। श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या और रोपवे के आकर्षण के चलते इस बार राधाष्टमी पर 45 लाख श्रद्धालुओं के बरसाना पहुंचने का अनुमान प्रशासन को है। इसी के मद्देनजर इस बार प्रशासन ने भीड नियंत्रण के लिए नया रूट प्लान तैयार किया है। श्रीजी के भक्तों को राधा जन्म के दर्शन करने के लिए 15 किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा। मंदिर जाने वाले रास्तों में भीड़ को चलायमान रखने के लिए मंदिर जाने वाले मार्ग की लंबाई बढ़ा दी। इस दौरान लाखों भक्त गहवर वन की परिक्रमा लगाकर पहाड़ी रास्ते से मंदिर पहुंचते थे वह श्रद्धालु 15 किलोमीटर चलकर राधा रानी के दर्शन मिल सकेंगे।
इस बार श्रद्धालु पार्किंग स्थलों से समूचे ब्रम्हांचल पर्वत की परिक्रमा लगाकर दुबारा से राधा रानी गेट से एंट्री कर राधा रानी मंदिर जाकर राधा रानी के दर्शन करेंगे। मौसम सुहावना रहा तो श्रद्धालु 15 किलोमीटर के रास्ते को आराम से तय कर लेंगे। अगर मौसम में तपिस रही तो श्रद्धालुओं की मुशिवते बढ़ जाएंगे इस दौरान श्रद्धालु हीट बेब का शिकार हो सकते हैं। इससे श्रद्धालुओं की जान पर आ सकती है। पंद्रह किलोमीटर रास्ते मे होकर परिक्रमा मार्ग की लंबाई करीब 10 किलोमीटर है जिसमे करीब तीन किलोमीटर का रास्ता जंगल का रास्ता है। जिसमें एक तरफ पहाड़ी तो दूसरी तरफ खेतों के रास्ता जहां होकर निकलने से छीना झपटी के साथ महिलाओं की सुरक्षा करना भी बड़ी चुनोती है।
वहीं इस रास्ते मे प्रकाश की समस्या भी बनी रहेगी। क्योंकि ज्यादातर श्रद्धालु रात्रि में परिक्रमा लगाकर राधा रानी के जन्मोत्सव के दर्शन करते हैं। क्षेत्राधिकारी गोवर्धन आलोक सिंह ने बताया कि परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जगह जगह पर पुलिस बल तैनात रहेगा। एसडीएम गोवर्धन नीलम श्रीवास्तव का कहना है कि राधाष्टमी पर आने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं होने दी जाएगी। परिक्रमा मार्ग में भक्तों की सुविधा के लिए सभी साधन उपलब्ध कराएं जायेगे।
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