खबर का असर : महिला अस्पताल में बाहर से दवा लिखने और बाहर की जांच के मामले में प्रकाशित खबर को सीएससी प्रभारी ने लिया संज्ञान

खबर का असर : महिला अस्पताल में बाहर से दवा लिखने और बाहर की जांच के मामले में प्रकाशित खबर को सीएससी प्रभारी ने लिया संज्ञान

सीएससी प्रभारी ने स्पष्टीकरण हेतु नोटिस की जारी, तीन दिन का दिया मोहलत


स्वतंत्र प्रभात
जलालपुर अंबेडकर नगर 
आयुष चिकित्सक डॉक्टर शशीबाला के द्वारा मरीजों को मेडिकल स्टोर पर फोन कर दवाएं लिखवा कर दवाई इलाज करना और अस्पताल की जांच को गलत बताते हुए बाहर से जांच करवाने के प्रकरण को लेकर  राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र स्वतंत्र प्रभात में खबर प्रकाशित हुई थी, जिसको संज्ञान में लेते हुए सीएससी प्रभारी जय प्रकाश ने डॉक्टर शशीबाला को स्पष्टीकरण हेतु नोटिस जारी करते हुए तीन दिन का समय दिया है। 
आपको बताते चलें कि महिला अस्पताल जलालपुर इस समय मरीज को बरगलाकर बाहर से दवाई एवं जांच करवाने के लिए सुर्खियों में बना हुआ है । महिला अस्पताल जलालपुर में आयुष चिकित्सक पद पर कार्यरत डॉक्टर शशि बाला इस समय काफी सुर्खियों में बनी हुई है। डॉक्टर शशि बाला होम्योपैथिक डॉक्टर होने के बावजूद भी मरीज को एलोपैथ की दवाएं फोन के माध्यम से उपलब्ध करवा रही हैं ।

मीडिया पड़ताल में यह बात खुलकर सामने आई है कि वह मरीज को होम्योपैथिक की दवाएं न देकर अस्पताल से बाहर स्थित है किसी एक मेडिकल स्टोर पर फोन के माध्यम से दवाई लिखवाती हैं और मरीज जाकर मजबूर होकर महंगी- महंगी दवाएं लेता है। यहां तक की मेडिकल स्टोर पर दवाए काफी महंगी होने के कारण मरीज जो दवा नहीं ले पता है और यदि वह डॉक्टर शशीबाला से बात करता है तो डॉक्टर शशीबाला उसे डांटती हुई यह कहती हैं कि तब तुम कहीं और जाकर दवा ले लो मेरे पास मत आओ। सूत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है कि अस्पताल में जो भी जांच होती हैं उन जांचों को गलत साबित करते हुए बाहर से जांच करवाने के लिए मरीज को प्रेरित करती हैं और मरीज की जेब पर डकैती डालने का कार्य कर रही है। अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत पूर्णतया डॉक्टर शशीबाला पर लागू हो रहा है। प्रश्न यह उठना स्वाभाविक है कि क्या अस्पताल प्रशासन इस खबर से अनजान है या जानबूझकर मरीजों की जेब पर डकैती डलवा रहा है। पीड़ित महिलाएं इस प्रकार की कार्यशैली से काफी त्रस्त है और मजबूर होकर वह प्राइवेट हॉस्पिटल में दवाएं व जांच के लिए जाती है।


विचारणीय प्रश्न यह है कि यदि पीड़ित के पास  इलाज के लिए खर्च करने का पैसा होता तो वह सरकारी अस्पताल का चक्कर क्यों लगाती , वह प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर अपना इलाज करवाती। सीएससी प्रभारी जयप्रकाश ने बताया की खबर को संज्ञान में लेते हुए स्पष्टीकरण हेतु नोटिस जारी कर दिया गया है और स्पष्टीकरण के लिए तीन दिन का समय निर्धारित किया गया है।

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