महायज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है: यज्ञाचार्य धीरेंद्र शर्मा
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चौपारण, हजारीबाग, झारखंड:- महायज्ञ का आयोजन से क्षेत्र में सुबृष्ट होती है, आसपास का वातावरण शुद्ध होता है तथा मानव में सद्बुद्धि आती है। अच्छी बारिश होने से पैदावार भी बेहतर होता है तथा इससे मानव समाज स्वस्थ रहता है। ग्राम बेंदुआरा प्रखंड चौपारण जिला हजारीबाग में आयोजित पांच दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के दौरान उक्त बातें यज्ञाचार्य धीरेंद्र शर्मा ने कहा है।
मौके पर महायज्ञ समिति के अध्यक्ष मुकुंद साव ने यज्ञाचार्य धीरेंद्र शर्मा जी के हवाले से कहा कि महायज्ञ में सभी देवी देवताओं का आह्वान एवं पूजन किया जाता है। इस वैदिक कर्मकांड से यज्ञ में सभी देवता भी विराजमान होते हैं। महायज्ञ का धुंआ जहां तक पहुंचता है तथा वैदिक मंत्रोच्चारण भी जिन जिन प्राणियों के कर्णगोचर होते हैं उनमे पुन्य और सद्गुण का संचार होता है। आचार्य धीरेंद्र शर्मा ने बताया कि देवता के प्रति समर्पण भाव से आना चाहिए तथा महायज्ञ का अवश्य दर्शन करना चाहिए।
यज्ञ ही श्रेष्ठ कर्म है इसे कभी भी त्यागना नहीं चाहिए। इस धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन से विश्व कल्याण होता है। आदिकाल में आयोजित इस धार्मिक कार्यक्रम के बारे में आचार्य ने कहा कि आयोजक धर्मराज युधिष्टिर ने देवगुरू बृहस्पति द्वारा राजसी यज्ञ करवाया था जिसमें सप्तर्शी के साथ कृष्ण जी स्वयं उपस्थित थे। वर्तमान समय में महायज्ञ से मानव समाज का कल्याण होता है। सारा संसार देव के अधीन है तथा मंत्र के अधीन देवता हैं। मंत्र विप्र के अधीन हैं इसलिए देवता की संज्ञा दी गई।
आस्था के साथ उनका आदर कदर करने से प्राणियों को कष्ट संकट का सामना नहीं करना पड़ता है,इस महायज्ञ के दौरान छतरपुर मध्यप्रदेश बागेश्वर धाम से चलकर आई मानशमणि रजनी शास्त्री जी ने बहुत ही मधुर स्वर से और सुंदर सुंदर शब्दों से प्रवचन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, पूरे इलाके में भक्ति की बयार नही,इसलिए मुकुंद साव ने तमाम लोगो से अपील किया है कि जहां कही भी यज्ञ होता है ईमानदारी से उस यज्ञ का दर्शन करना चाहिए और जो भी हो सके सहयोग करना चाहिए, तथा पवित्र मन से महायज्ञ में शामिल होना चाहिए, कथा वाचिका ने अपने कथा में यह भी कहा कि सनातन पर खतरा मंडरा रहा है, इसको हम सबको बचाने के लिए आगे आना पड़ेगा, धरती पर से हरियाली सिमट रही है।
इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए,धरती पर पानी कम होता जा रहा है इसलिए पानी की खपत कम करे क्योंकि पानी बनाया नही जा सकता परंतु पानी बचाया जा सकता है, उन्होंने अपने प्रवचन में पारिवारिक परिस्थितियों पर भी चर्चा की और कहा कि भगवान तो होते ही है परंतु मां बाप से बड़ा कोई भगवान नही होते इसलिए माता पिता को कभी तकलीफ नहीं देना चाहिए,मां बाप का हर सलाह बाल बच्चे के लिए अमृत के सामान होता है,इस वर्ष जो बेंदूवारा में महायज्ञ हुआ वो द्वितीय वार्षिकोत्सव था, आगे भगवान चाहा तो तृतीय वार्षिकोत्सव और प्राण प्रतिष्ठा भी हो सकती हैl
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