मौजमाबाद साधन सहकारी समिति के प्रबंध निदेशक पर लग रहे रिश्वतखोरी के आरोप
किसानों का उत्पीड़न और बगैर रिश्वत के ऋण व खाद न देने के शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
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ऋण पास करने के नाम पर घूस मांगने व रिश्वत न देने की बात पर अभद्र व्यवहार करके समिति से भगा देने की लिखित शिकायत करके जांच कर उक्त दोषी प्रबंध निदेशक पर कार्यवाही किए जाने की शिकायतकर्ता ने लगाई गुहार
लखीमपुर खीरी
एक ओर जहां प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के समूल सफाए को लेकर नए-नए नियम कानून लागू कर रहे हैं ।और इसके लिए जीरो ट्रारलेस की नीति भी लागू कर रहे हैं ।वहीं दूसरी तरफ इन्हीं के मातहत प्रबंध निदेशक मोजमाबाद साधन सहकारी समिति अनूप कुमार मिश्रा अपनी ही सरकार के आदेशों व प्रयासों को ताक पर रखकर किसानों एवं संविदा कर्मचारी से रिश्वत मांगते देखे जा सकते हैं।
मामला विकासखंड फूलबेहड़ के अंतर्गत सुंदर बल में संचालित मोजमाबाद किसान साधन सहकारी समिति से जुड़ा है ।जहां अनूप मिश्रा द्वारा किसानों से ऋण पास करने के नाम पर विकास भवन में बैठे विभागीय अधिकारियों को देने के नाम पर घूस मांगते देखे जा रहे हैं। गौर तलब हो कि ग्राम कुसमोरी निवासी किसान सुरेश कुमार राजभर पुत्र स्वर्गीय छेदीलाल ने जिला अधिकारी खीरी को प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है ।सुरेश राजभर ने जिला अधिकारी खीरी को दिए गए शिकायती प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया है कि वह मौजमाबाद साधन सहकारी समिति सुंदरवल का कृषक सदस्य है ।उसने कृषि कार्य हेतु उपरोक्त किसान साधन सहकारी समिति के प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा से फसली ऋण स्वीकृत करने की मांग की थी ।जिसके लिए उक्त अनूप मिश्रा द्वारा आजकल आजकल करके महीनो दौड़ाया जाता रहा ।
उसके बाद अनूप कुमार मिश्रा ने बताया कि आपका कर्जा पास करवाने के लिए विकास भवन में बैठे अफसर को पैसा देना होगा ।जब सुरेश कुमार राजभर ने पैसा दे पाने में असमर्थता जताई तो उक्त साहब आग बबूला हो गए और कहा तुम्हारा लोन नहीं पास करवाऊंगा तुम ज्यादा बोलते हो और समिति से भगा दिया। उक्त किसान का कहना है यदि उसके पास पैसा होता तो वह ऋण क्यों लेता।उसकी फसल खाद पानी की वजह से बर्बाद हो रही है ।अपने साथ किए गए अभद्र व्यवहार एवं बगैर रिश्वत के ऋण पास न करने वाले उक्त प्रबंध निदेशक के विरुद्ध जांच कर कठोर कार्रवाई किए जाने की मांग की है ।कि यह पहला मौका नहीं है इससे पहले भी दूसरा मामला संविदा कर्मी शिप्रा मिश्रा पुत्री सुबोध नारायण मिश्रा निवासी सिकटिहा जिला खीरी का है शिप्रा मिश्रा का चयन दिनांक 1/9 /2023 को संविदा कर्मचारी के पद पर इसी समिति में हुआ था। उसका चयन समिति में सदस्य बनाने के लिए हुआ था ।
और शिप्रा मिश्रा द्वारा लगभग 750 सदस्यभी बनाए गए ।शिप्रा मिश्रा के कार्य व्यवहार से क्षेत्रीय किसान भी काफी खुश थे ।लेकिन प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा को धन की आवश्यकता थी। घटना दिनांक 25 नवंबर 2023 की है जब प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा द्वारा शिप्रा मिश्रा को बुलाकर उसे 35000 रुपए बतौर रिश्वत देने की मांग की गई यह कहते हुए की गई। कि आप 35000 रुपए दे दो तो हम तुम्हारा चयन ए आर कोऑपरेटिव शुक्ला जी से मिलकर करवा दूंगा ।यहां पर भी वही हाल हुआ शिप्रा मिश्रा ने रिश्वत रूपी 35000 रुपए देने से साफ मना किया तो साहब का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया ।शिप्रा मिश्रा ने कहा कि आप और समिति संचालक मंडल द्वारा जो 3 माह काम लिया है पहले मेरा वेतन ₹300 प्रतिदिन के हिसाब से 27000 रुपए दीजिए।
हम रिश्वत नहीं देंगे जिस पर बौखलाए प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा ने संविदा कर्मी शिप्रा मिश्रा को बगैर वेतन दिए भगा दिया ।और नौकरी से निकाल दिया।उसका दोष क्या था बस इतना कि उसने कहा कि मैं अपनी समस्या स्वयं ए आर कोऑपरेटिव से कह लूंगी और ₹35000 रिश्वत नहीं देंगे। पीड़ित शिप्रा मिश्रा उक्त मामले की लिखित शिकायत ए आर कोऑपरेटिव व डी आर कोऑपरेटिव से करने के साथ-साथ राज्य महिला आयोग में भी किए जाने की बात कही है ।
अब देखना यह है कि अपने उच्च अधिकारियों को देने के नाम पर रिश्वत मांग कर उनकी छवि धूमिल करने वाले प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा पर जिम्मेदार कार्यवाही करते हैं या ऐसे ही मामले की लीपापोती कर रफा-दफा कर देते हैं।
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