कुशीनगर : झाड़ी में हैं अस्पताल या अस्पताल में झाड़ी हैं..?
शैलेश यदुवंशी
खड्डा,कुशीनगर। नगर पंचायत छितौनी में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कोविड अस्पताल लोगों की बीमारी दूर करने की बजाय अब खुद बीमार हो गया हैं कोरोना से जंग जीतने के लिए बने इस सुविधाजनक अस्पताल में अब झाड़ियां उग गई है कोरोना के बाद शासन की मंशा थी कि बेहतर ढंग से अस्पताल शुरू किया जायेगा मगर अब तक यहां स्टाफी नियुक्ति ही नहीं हुई। डीएम ने दो साल पहले शासन को पत्र भेजकर यहां डॉक्टर व अन्य स्टाफ की नियुक्ति की मांग की थी। मगर उसका जवाब आज तक नहीं आया। जिसके कारण करोड़ो की लागत से बने लोगों के उम्मीदों के अस्पताल की फर्से अब टूटनी शुरु हो गई है जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
नगर पंचायत छितौनी के संयुक्त महिला अस्पताल के परिसर में तत्कालीन खड्डा विधायक जटाशंकर त्रिपाठी की पहल पर डीआरडीओ के द्वारा वर्ष 2021 में 70 बेड के फाइबर अस्पताल की स्थापना की गई थी। अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इस अस्पताल में आईसीयू व हर बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने की सुविधा भी है। इसके साथ ही फाइबर अस्पताल को कोविड व अन्य गंभीर रोगों निपटने के लिए पूरी तरीके से हाईटेक बनाया गया है। अस्पताल परिसर में ही सामाजिक संस्था ऑक्सफाम के द्वारा पूर्वांचल के सबसे बड़े ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना भी की गई है। 4 करोड़ रुपये की लागत से बने इस ऑक्सीजन प्लांट से प्रति मिनट 600 लीटर ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता है। अस्पताल में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए 250 केवीए जेनरेटर भी लगाया गया है।
अस्पताल के संचालन के लिए तत्कालीन डीएम एस राजलिंगम ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को पत्र भेज डाक्टर व कर्मचारियों की मांग की थी, लेकिन शासन की ओर से डॉक्टरों की उपलब्धता न होने के कारण अस्पताल का संचालन नहीं हो सका। अस्पताल शुरू होने से पिछड़े क्षेत्र के लोगों को काफी लाभ होगा। इलाज के लिए उन्हें बड़े शहरों तक भाग दौड़ नहीं करनी पड़ती था, जिला अस्पताल पर भी बोझ कम पड़ता।
सीएमओ डा सुरेश पटारिया का कहना है कि स्थानीय व्यस्था से अस्पताल का संचालन किया जा रहा है यह अस्पताल कोविड के लिए बना था लेकिन जिले में अब कोई कोविड का मरीज हैं नही।
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