अस्पतालों में दो माह से टीवी की दवाओं का संकट, 2025 तक कैसे टीबी मुक्त बनेगा भारत
मिल्कीपुर-अयोध्या। मिल्कीपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था में बेटरी होती जा रही है। खास तौर पर टीबी मरीजों के लिए दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। जिला चिकित्सालय टीबी अस्पताल सहित सभी टीबी की दवाओं का संकट गहरा गया है। दवाओं का संकट गहराने से मरीजों में भी हाहाकार मचा हुआ है। आल्हा में है कि टीबी की दवाएं बाहर भी नहीं मिल रही हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिल्कीपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार टीबी के तकरीबन 223 मरीज हैं। इनमें 6 के करीब एमडीआर के पेशेंट हैं, सीएचसी खंडासा में टीबी के 200 तथा एमडीआर 8,व हैरिंग्टनगंज में टीबी के139 मरीज व एमडीआर के एक मरीज हैं। तहसील क्षेत्र में कुल 621टीबी रोगी तथा 15 एमडीआर के पेशेंट है।
यहां मरीजों के इलाज के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।
2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का भी लक्ष्य रखा गया है। इसी लक्ष्य के तहत मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र में तीन यूनिट समेत जिले में 14 यूनिटें बनाई गई है। जहां अपने निकटतम यूनिट से टीबी मरीज दवाएं प्राप्त कर सकते हैं लेकिन पिछले दो माह से टीबी के एमडीआर मरीजों को दी जाने वाली चार दावों की कमी हो गई है। जिसमें साइक्लोसिरीन,लाइंजोलिव,क्लोफजिमीन और लियोफ्लाक्सासेसिन शामिल हैं। इसके लिए कई बार पत्राचार भी किया गया लेकिन दावों की अभी तक उपलब्धता नहीं हो सकी है। बताया जा रहा है कि इन दावों की खरीदारी सीसीडी से होती है। अस्पताल के कई कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दावों का संकट आने के बाद से मरीजों को अन्य दवाएं तो दी जा रही हैं, लेकिन इन चारों दावों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। दवाओं की उपलब्धता न होने के संबंध में जब जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर संदीप शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी मुझे एक माही चार्ज संभाले हुआ है इसके बाद मैं ट्रेनिंग पर चला गया था दवाओं की शॉर्टेज तो है हर जगह यह दवाएं मिल भी नहीं सकती।

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