गोपालगंज जेल में, होता पैसे का खेल
गोपालगंज
अब तो आनलाइन तब मुलाकात. अगर जेल में किसी सगे संबंधियों,इष्ट मित्रों, से मुलाकात करनी हो तो एक दिन पहले आकर आनलाइन करना पड़ता है. यह आन लाइन वहां के कुछ स्थानीय हैं, जिनकी मोबाइल के जरिए कराना पड़ता है और इसके लिए शुल्क भी जमा करना होता है.
एक मुलाकात के पहले अनेक बात. एक आदमी से मुलाकात के लिए एक दिन आइए, गाड़ी में तेल भरवाइए और आन लाइन करके चले जाइए तब दूसरे दिन जेल के साहेबान मुलाकात के लिए इंट्री करवायेंगे. सीधे सादे लोग इस फरमान की बदौलत चले जा रहे हैं पर कुछ लठ्ठू किस्म के लोग वहां चक्कर काटते काटते साहेबान का जेब गर्म कर अपनों से मुलाकाती करके हीं आते हैं. चंद नोटों के कारण यहां तो नियम हीं बदल गया और जाने वाले चले गये.न मुलाकात हुई न बात. एक मुलाकाती और दो दिन का व्यय और मजदूरी! गजब यहां की रीत है! इस लोकतंत्र में जनता की कठिनाइयां हीं चुनाव का मुद्दा बन जाती हैं और जनता हीं कठिनाइयां झेल रही है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि बेलगाम व्यवस्था है क्योंकि इस वीरान में पत्रकार भी नहीं आना चाहते और यहां तो लूट खसोट का राज है. मांझा से अपने साढ़ू से शनिवार को मुलाकात करने आए एक युवक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आज ही आनलाइन करवाया था. जब पर्ची लेकर गेट पर गया तो भगा दिया गया यह कहकर कि मुलाकात के लिए एक दिन पहले आनलाइन करना होता है. आज का आज मुलाकात होगा हीं नहीं. बेचारा सोच रहा था कि बहुत दूर से चलकर आया है,आज मुलाकात नहीं हुई तो सब बेकार जायेगा.
Read More पुलिस के नाकामी की हो रही है चर्चा, सीसीटीवी कैमरे मे कैद हैं चोरी की वारदातें, फिर भी परिणाम नदारदइर्द गिर्द मंडराता रहा और अपनी जुगत लगाता रहा. जेल में पैसे का खेल हुआ और फिर उसकी मुलाकात हो गई. यहां तो सामान चेक कराई भी देना पड़ता है. जनता के हितों के मद्देनजर जरुरत है जेल प्रशासन की गतिविधियों का विंदुवार रिव्यू की तभी जनता की परेशानियों को कम किया जा सकता है,वरना दौर जो चल रहा है उसे विराम नहीं दिया जा सकता.

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