दुनिया को देखने निकली अकेली ईरानी दृष्टिहीन महिला, भारत को लेकर कह दी बड़ी बात
स्वतंत्र प्रभात।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि दिव्यांग होना एक विशेष क्षमता है, ईश्वर का एक उपहार है, और दुनिया को हमारी विशेष क्षमता का पता लगना चाहिए ताकि हम इस दुनिया की बेहतरी के लिए अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम तरीके से उपयोग कर सकें।'' दरिया का असली नाम मुनीरा सआदत हुसैन है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं विश्व अक्षमता दिवस पर एक कार्यक्रम सुन रही थी, उसी वक्त मेरे दिमाग यह विचार आया कि विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिये कुछ करना चाहिए, मैने अपना बैग तैयार किया। अपने फैसले से मैने माता-पिता को हैरान कर दिया और मैने अपनी यात्रा अर्मेनिया से शुरू की जहां मैने तीने महीने बिताए।'' उन्हें उम्मीद है कि उनकी यह यात्रा दूसरे दिव्यांगों को प्रेरित करेगी और वह अपने सपने को साकार करने की दिशा में प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सबके लिये उनका संदेश है कि मानवता और दयालुता को भी नहीं बिसारें।
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