योगी सरकार की स्थानांतरण नीति पर भारी पड़ रहे विद्युत विभाग के एसडीओ

योगी सरकार की स्थानांतरण नीति पर भारी पड़ रहे विद्युत विभाग के एसडीओ

स्वतंत्र प्रभात

अम्बेडकर नगर।उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में सबकुछ सरकार की मंशा के अनुरूप नहीं, बल्कि नौकरशाहों की मंशा के मुताबिक हो रहा है। बात यदि करें विद्युत विभाग की तो यह विभाग इस मामले में अव्वल नजर आता है। शासन प्रशासन यहां तक कि खुद विद्युत विभाग के उच्चाधिकारियों के आदेश निर्देश भी जुगाड़ के आगे बेबस नजर आते हैं।बात करते हैं जलालपुर तहसील में पिछले कुछ महीने की जब एस डी ओ द्वारा लंबे समय से एक ही स्थान पर कार्यरत होने के कारण जिनका स्थानांतरण शासन और विभाग की नीतियों तथा नियमावली के मुताबिक एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए कर दिया गया था, परंतु साहब ने जुगाड़ लगाकर स्थानांतरण रुकवा लिया, इसे अब हठधर्मिता कह ले या मनमानी एस डी ओ विनोद सिंह द्वारा आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अपने स्थान से हिलने तक की कोशिश नहीं की है। वर्षों से सांप की भांति एक ही स्थान पर कुंडली मारे यह अधिकारी शासन के आदेशों के साथ.साथ अपने मुखिया के आदेशों को भी दरकिनार करते हुए अपनी समानांतर सत्ता चलाने की हठधर्मिता पर आमादा है।

इससे स्पष्ट होता है कि इन्हें ना तो शासनादेश का डर है और ना ही अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों और निर्देशों का।शासन के स्थानांतरण नीति को धता बताते हुए स्थानांतरण होने के बाद भी लंबे समय से एक ही स्थान पर डटे कर्मचारियों को लेकर विभाग के अंदरखाने में तरह.तरह की चर्चाएं हो रही हैं।आखिरकार ऐसे आदेश और निर्देश कुछ चुनिंदा लोगों पर क्यों नहीं प्रभावित होते हैं? क्या वह सरकार और विभाग के मुखिया के आदेशए निर्देशों और नीतियों से बढ़कर हैं?लंबे समय से बैठे एस डी ओ जलालपुर की हठधर्मिता और मनमानी चलती है, जो विभाग को न केवल खोखला करते आ रहे हैं बल्कि विभाग को दागदार करने के साथ.साथ भ्रष्टाचार के दलदल में भी झुकते आ रहे हैं। उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित ना होने से मनमानी और भ्रष्टाचार का राज कायम है।वह बताते हैं कि यह सिलसिला कोई यहां नई बात नहीं है, बल्कि पिछले डेढ़ दो दशक से यह अनवरत चलता आ रहा है। पूर्व में हुए कई प्रकार के भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े इसकी नजीर रहे हैं। वह सवाल दागते हुए कहते हैं, 'शासन और विभाग की गाइडलाइन तय है कि एक ही जगह तीन साल से अधिक कोई कर्मी /अधिकारी कार्यरत है तो स्थानांतरण कर दिया जाय तो फिर इसका कड़ाई से अनुपालन क्यों नहीं सुनिश्चित हो रहा है? यदि ऐसा हो रहा है तो ऐसे लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?'

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