स्वतंत्र प्रभात
उन्नाव जिले भर में जल संचय को लेकर देश के प्रधानमंत्री मोदी या फिर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ सदैव सजग रहते हैं। पिछली भाजपा सरकार में भी योगी सरकार ने मई 2017 में शासनादेश जारी करते हुए भू माफियाओं के कब्जे से तालाबों को मुक्त कराने का फरमान जारी किया था। जिस पर थोड़े दिन तो जनपदीय अधिकारियों ने काम किया। किंतु बाद में उस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब भाजपा के दोबारा सरकार योगी जी के नेतृत्व में पुनः बन गई है। योगी बाबा की सरकार बुलडोजर बाबा के नाम से भी इस बार चुनावी दौर में खूब चर्चा में रही है।
उन्नाव गंगाघाट के ज्यादातर तालाबों को भू माफियाओं ने पाटकर बराबर कर दिया है। जहां जहां भी तालाब थे वहां पर अब शानदार इमारतें बन कर खड़ी हो गई है। तालाबों के समतलीकरण हो जाने से भूगर्भ में पानी की बड़ी समस्या आम जनमानस के सामने आ खड़ी हुई है। आज से दो दशक पहले जनपद में 12 से 20 फुट पर पानी आसानी से मिल जाता था। लेकिन आज स्थिति इतनी भयावह है कि 80 फुट पर भी पानी नहीं मिल रहा है। अगर आपको पानी चाहिए तो 120 फुट के बाद ही आपको पानी मिलने की संभावना है। कारण बिल्कुल साफ है जनपद में हजारों की संख्या में तालाब हुआ करते थे। जो आज की तारीख में खोजने पर भी आपको नहीं मिलेंगे। तालाबों की संख्या नगण्य की स्थिति में आ चुकी है। तालाबों के खत्म हो जाने से आम दैनिक जगजीवन के साथ-साथ पशु पक्षियों और मवेशियों की दैनिक दिनचर्या पर भी बड़ा असर पड़ा है। आज बड़ी संख्या में मवेशी इधर उधर भटकने को मजबूर है। इसकी बड़ी वजह तालाबों का खत्म होना भी हो सकता है। बड़े स्तर पर जलस्तर का गिरना तो निश्चित तौर पर तालाबों के ना होने की वजह ही है।
भू माफियाओं की जल्द ही आने वाली है सामत
प्रदेश में दोबारा योगी सरकार बन चुकी है जल्द ही बाबा जी का बुलडोजर भूमाफियाओं के ऊपर चलने वाला है। जिसको लेकर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भू माफियाओं पर कार्यवाही करने की तैयारी में शासन जुटा है। शासन में सूत्रों की मानें तो इस बार तहसील स्तर पर भी भू माफियाओं की तरफ बाबा जी की नजर टेढ़ी हो सकती है। अगर ऐसा हुवा तो जनपद में अवैध कब्जे करे बैठे भू माफियाओं की जल्द ही सामत आने वाली है। भू माफियाओं पर मुकदमा दर्ज कर सरकारी जमीन व तालाबों पर बने अवैध कब्जे को मुक्त कराया जाएगा। साथ ही भू माफियाओं के चंगुल से सरकारी जमीनों को छुड़ाया जाएगा।
आम जनमानस के साथ पशु पक्षियों को भी मिलती थी राहत
तालाबों से आम जनमानस को ही राहत नहीं मिलती थी। बरसात के सीजन में तालाबों में पानी भर जाता था। जो पूरे वर्ष तालाब में भरा रहता था। जहां बहुत अधिक गर्मी पड़ने पर कुछ तालाबों का पानी सूख जाता था। नहीं तो ज्यादातर तालाबों का पानी पूरे वर्ष भरा रहता था। जहां उसकी मात्रा अवश्य कम हो जाती थी। तालाबों में पानी रहने से पशु पक्षियों को पानी की कमी नहीं होती थी। बेसहारा पशु पक्षी आसानी से तालाब का पानी सेवन कर अपनी प्यास बुझाने का काम करते थे। साथ ही तालाब के अगल-बगल नमी होने के चलते हरे घास का भी बंदोबस्त सदैव हमेशा रहता था। जिसका सेवन भी हमारे बेजुबान मवेशी करते थे।
तालाबों को लेकर हाईकोर्ट के भी कई आ चुके हैं निर्देश
तालाबों के समाप्त होने की गम्भीर समस्या के चलते 25 जुलाई 2001 को पारित हुए आदेश में कोर्ट ने कहा कि जंगल, तालाब, पोखर, पठार तथा पहाड आदि को समाज के लिए बहुमूल्य मानते हुए इनके अनुरक्षण को पर्यावरणीय संतुलन हेतु जरूरी बताया है। निर्देश है कि तालाबों को ध्यान देकर तालाब के रूप में ही बनाये रखना चाहिए। उनका विकास एवम् सुन्दरीकरण किया जाना चाहिए। जिससे जनता उसका उपयोग कर सके। कोर्ट का यह भी आदेश है कि तालाबों के समतलीकरण के परिणामस्वरूप किए गए आवासीय पट्टों को निरस्त किए जाए।
जिलाधिकारी ने कहा था कि तालाबों को कराया जाएगा कब्जा मुक्त –
भू माफियाओं के द्वारा तालाबों को पाटकर बेचने के बाबत जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया था कि बिल्कुल ऐसे भू माफियाओं को माफ नहीं किया जाएगा जिन्होंने तालाबों पर कब्जा कर बिल्डिंग खड़ी कर ली है। जनपद के तालाबों को चिन्हित करते हुए भू माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जनपद में जो भी तालाबों का अस्तित्व खत्म हुआ है उसका चिंहाकन कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे लेकिन वो आदेश केवल कागजों में ही दफन हो गए अब देखने की बात है कि ऐसे भूमाफियाओं पर कौन करेगा कारवाई।