एक झलक आज के अमेरिकी सभ्यता की

एक झलक आज के अमेरिकी सभ्यता की

मैं उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव की रहने वाली हूँ, और मैं अमेरिका मई २०१८ में आयी। मेरे लिए पहले के १०-१५ दिन तो काफी आश्चर्य जनक रहे, क्योंकि मैंने ऐसे-ऐसे द्रिश्य देखे जिसको मैंने इसके पहले केवल तस्वीरों में देखा था। इस देश में मैंने काफी कुछ सीखा, देखा और अनुभव किया है। जिसे मैं अपने

एक झलक आज के अमेरिकी सभ्यता की

Pooja Tiwari – Seattle, Washington (USA)
स्वतंत्र प्रभात (वाशिंगटन)

मैं उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव की रहने वाली हूँ, और मैं अमेरिका  मई  २०१८ में आयी। मेरे लिए  पहले के   १०-१५ दिन तो  काफी आश्चर्य जनक रहे, क्योंकि मैंने ऐसे-ऐसे द्रिश्य देखे जिसको मैंने इसके पहले केवल तस्वीरों में देखा था। इस देश में मैंने काफी कुछ सीखा, देखा और अनुभव किया है। जिसे मैं अपने लेखन के   माध्यम से आप लोगों को भी अवलोकन कराने का प्रयास कर रही हूँ।  


वेशभूषा और रहन -सहन :- 

आईये हम यहां पर अमेरिका के पहनावे के बारे में बात करते हैं।  वैसे आज अमेरिकी पहनावे और भारतीय  पहनावे में ज्यादा विशेष भिन्नता नहीं रह गयी है। लेकिन काफी कुछ रोमांचक बातें  हैं इनके वेशभूषा में जो मै आप सबके साथ शेयर करना चाहती हूँ। मुझे अमेरिका में रहते करीब २ साल होने को आ रहें है। मेरे काफी अमेरिकन फ्रेंड है, और मै खुद १ अमेरिका की बैंक में काम करती हूँ।  इस सब की वजह से मुझे काफी कुछ अमेरिकी कल्चर के बारे में  जानने को मिला। इनके पहनावे को देख कर लगता है की यहां का हर कोई अमीर हैं, जिसको देखो वही अच्छे सूट अच्छे जूते में दिखेंगे लेकिन जरूरी नहीं है कि इनके सब के पास पैसे की कमी नहीं है। यहां तक कि मैंने देखा है बैंक में अक्सर लोग अच्छे वेशभूषा में आते हैं,और उनके अकाउंट में पैसे कितने रहते हैं $10 $२०। 

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और अपने भारत में है की १ गरीब बेचारा चप्पल और किसी तरह १ अच्छे शर्ट में दिख जाये। क्योंकि अपने यहां और यहां के लोगों की मानसिकता में काफी अंतर है। अपने यहां के १ मिडिल क्लास का व्यक्ति सोचता  हैं कि कम पहन लो लेकिन किसी का पहना हुआ न पहनो। लेकिन यहां के लोग ऐसा नहीं सोचते हैं,बस उनका मानना है कि कैसे भी हो वेल ड्रेस्ड दिखना चाहिए। क्योंकि ये लोग इस बात को भली-भांत समझते हैं की अच्छे पहनावे में ही सफलता छिपी हुई है। लेकिन ऐसा नहीं है  की यहां के सब लोग ऐसे ड्रेस के लिए बहुत पैसे खर्च करते हों। यहां पर कई सारी दुकाने हैं जो डोनेट किये हुए रोजाना की वस्तुऐ  बहुत ही कम दामों पर बेचती हैं जैसे वैल्यू विलेज ,गुड विल इत्यादि। और तो कई चैरिटी वाले हैं जो मुफ्त में भी देते हैं । इसकी जानकारी मैंने १ प्रोग्राम के तहत हासिल की। यहां की एक बहुत ही रोमांचक बात है जिसे मैंने देखा है कि यहां के बेघर / भिखारी कभी भी  मुँह से बोल कर लोगो के सामने हाथ फैला कर कुछ नहीं मांगते  बल्कि १ पोस्टर लिए खड़े  रहते हैं।  

खानपान:-

 इनका खानपान हम भारतीयों  से बिलकुल अलग रहता है। जैसे अपने यहां दाल और चावल प्रसिद्ध है वैसे ही यहां पैक्ड फ़ूड। ये सलाद के प्रेमी होते हैं। पनीर की जगह ये टोफू का इस्तेमाल करते हैं। जो देखने में पनीर जैसा ही दिखता है। ये सलाद को कुछ इस तरीके से खाते हैं। 

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जैसे हमारे भारत  में किसी आयोजन या त्योंहारों  में मिठाई बहुत ही प्रचलित है वैसे ही यहां डोनट प्रशिद्ध है।  उसी को अलग -अलग प्रकार से बनाते हैं। जैसे अपने यहां होली में गुझिया दिवाली में १ विशेष प्रकार की मिठाई है चिरई वैसे यहां उसी डोनट को अलग-अलग त्योहारों में अलग-अलग आकृत देके बनाते हैं। जैसे क्रिश्मस में लाल,हरी,सफेद और कई रंग की क्रीम डोनट के ऊपर लगा कर बनाते हैं।

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यातायात :-

यातायात की सुविधा बहुत ही अच्छी है यहां। बसों का काफी ज्यादा इंतजार नहीं करना होता है। यंहा की १ बात काफी सराहनीये है जिसे मैंने देखा और खुद भी अनुभव किया है कि यहां के बस ड्राइवर कभी भागम -भाग में नहीं रहते हैं। ये काफी ध्यान देते हैं उन यात्रियों का जिनके साथ बच्चे रहते हैं। यहां पर  बड़ी ही अच्छी व्यावस्था है बस में व्हील चेयर और बच्चों के स्ट्रोलर  के लिए।

सुविधायें:- 

यहां के लोग पढ़ने के काफी शौक़ीन होतें है।बस में देखो जिम में देखो तो अक्सर  लोग पुस्तकें  लिए पढ़ते रहते हैं। और शौक़ीन हों भी क्यों न यहां पर अधिकतम सुविधायें मुफ्त में हैं। यहां हर ३-४ किलोमीटर पर १ पुस्तकालय मिलेगा जहा पर मुफ्त में भिन्न -भिन्न प्रकार की पुस्तकें मिलती हैं, मुफ्त में  इंटरनेट और कंप्यूटर का भी इस्तेमाल कर सकतें है। बच्चों के लिए काफी कार्यक्रम होते हैं जैसे स्टोरी टाइम जिसमे १ महीने से ५ साल के बच्चे आते हैं । और बच्चों के होम वर्क कराने के लिए भी व्यवस्था है। युवा पीढ़ी के लिए भी कई प्रोग्राम होते हैं। यहां बैंकों में खाने की दुकानों में मेडिकल स्टोर में हर जगह ड्राइव थ्रू  (कार में बैठे- बैठे सुविधायें  ले सकते हैं ) की व्यवस्था है। 

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पर्यावरण:- 

सफाईके मामलेमें तो अमेरिका का क्या कहना। कही भी किसी पार्क में १ भी पॉलिथीन नहीं मिलेगी चॉकलेट के छिलके नहीं मिलेंगे। ध्वनि प्रदुषण तो है ही नहीं यहां।  लेकिन यहां भारत के कोई भी पेड़ नहीं मिलते देखने को। यहां पर मैंने अभी तक न कोई नालियां न विखरे हुए कूड़े देखे। 

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ये मेरा अनुभव था जिसे मैंने आप सबके साथ कुछ शब्दों में वर्णन किया है। 

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