स्वतंत्र प्रभात
शत्रुघ्न मणि त्रिपाठी-
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचने से पहले ही मनीष की मौत हो चुकी थी। मनीष की मौत का कारण तलाशने में लगी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इससे संबंधित कुछ अहम साक्ष्य मिले हैं। मनीष को भर्ती कराने के लिए काटे गए पहले पर्चे में उसको अज्ञात और ब्रॉड डेड (डॉक्टरों की भाषा में मृत) बताया गया था। जबकि, कुछ ही देर में बनाए गए, दूसरे पर्चे में उसकी पहचान खोलकर उसे जिंदा बताते हुए अस्पताल में भर्ती किया गया।
एसआईटी ने दो और तीन अक्तूबर को घटनास्थल होटल कृष्णा पैलेस, मानसी अस्पताल, रामगढ़ताल थाना और बीआरडी मेडिकल कॉलेज से टीम ने साक्ष्य जुटाए हैं। अब रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक एसआईटी को सबसे अहम सुराग मेडिकल कॉलेज से मिले हैं। पता चला है कि देर रात 2:10 बजे ट्रॉमा सेंटर में मनीष को भर्ती कराने के लिए पहला पर्चा काटा गया था। पहले पर्चे में कारोबारी को अज्ञात बताया गया था।
पर्चे में उस अज्ञात के लिए ब्रॉड डेड का उल्लेख है। उस वक्त पल्स भी नहीं चल रही थी। हालांकि, पांच मिनट बाद ही कारोबारी को भर्ती कराने का दूसरा पर्चा काटा गया और उसमें उसकी सांसे चलती बता दी गईं। इस पर्चे में मनीष की पहचान उद्घाटित कर सर्जरी के लिए भेज दिया गया था। इसके 20 मिनट बाद ही मनीष को मृत घोषित कर दिया गया।
मेडिकल कॉलेज में 30 मिनट का खेल
जानकारी के मुताबिक रामगढ़ताल पुलिस 27 सितंबर की रात 2:05 बजे मनीष को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंची थी। रात 2:10 बजे ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराने के लिए पहला पर्चा कटवाया गया। रात 2:15 बजे ट्रामा सेंटर में ही भर्ती कराने का दूसरा पर्चा काटा गया। रात 2:35 बजे कारोबारी मनीष को मृत घोषित कर दिया। इसका मतलब है कि 30 मिनट में ही रामगढ़ताल पुलिस ने जमकर बीआरडी के स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मिलकर खेल कर दिया।
किसके फोन पर बना भर्ती का दूसरा पर्चा ?
सामान्य तौर पर मरीज को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने के लिए केवल एक ही पर्चा काटा जाता है, लेकिन मनीष के मामले में ऐसा नहीं हुआ। रामगढ़ताल पुलिस ने पहले मनीष को अज्ञात बताकर भर्ती कराने का पर्चा कटवा लिया था। इस बीच किसी का फोन गया और भर्ती का दूसरा पर्चा बनाने का अनुरोध किया गया। बताया जा रहा है कि स्टाफ ने विरोध किया था, लेकिन किसी से फोन कराके दबाव बनवाया गया। लिहाजा, जो मरीज अज्ञात बताया गया था, उसे ज्ञात बताकर दूसरा पर्चा बना दिया। एसआईटी अब फोन करके दूसरा पर्चा बनवाने वालों की तलाश में है।
मनीष की मौत पर रामगढ़ताल पुलिस का सारा खेल फेल
कारोबारी मनीष की मौत को लेकर रामगढ़ताल पुलिस ने जो पूरा खेल खेला, अब वह फेल होता नजर आ रहा है। एसआईटी की जांच और अस्पताल प्रबंधनों के बयान से लगता है कि मनीष की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले हो गई थी। क्योंकि, होटल कृष्णा पैलेस में घटना के बाद पुलिस सबसे पहले मनीष को लेकर मानसी अस्पताल गई थी। मानसी अस्पताल के संचालक डॉ. पंकज दीक्षित ने साफ कह दिया कि मनीष की पल्स नहीं चल रही थी।
इसकी जानकारी ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने रामगढ़ताल पुलिस को दी थी। इसका मतलब है कि मनीष की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई थी। रामगढ़ताल पुलिस अपना बचाव करने के लिए मनीष को मेडिकल कॉलेज लेकर गई थी।
मीनाक्षी के भरोसे पर खरा उतरने का भी चुनौती
एसआईटी की जांच में एक बात का विशेष ध्यान यह भी रखा जा रहा है कि जहां इस घटना के बाद पूरे यूपी पुलिस पर सवाल खड़े होने लगे थे, वहीं इसके बीच वारदात के शिकार मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने कानपुर पुलिस के सहयोगों की तारीफ करते हुए उस पर भरोसा भी जताया था। मीनाक्षी ने साफ तौर पर कहा है कि सभी पुलिस वाले गलत नहीं होते। कुछ अपवाद के रूप में होते हैं, जिनकी गलतियों का खामियाजा पूरे महकमे को भुगतना पड़ता है।
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्हें सिर्फ रामगढ़ ताल पुलिस और वहां के अधिकारियों पर भरोसा नहीं है। बावजूद इसके उन्होंने पूरी गोरखपुर पुलिस को गलत नहीं ठहराया।