सदियो से लोगो के लिए तारणहारिणी बनी गंगा का अस्तित्व खतरे में

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। नगर की औद्योगिक इकाईयां मिर्जा ट्रेनर्स माॅडल टेनरी पेस्फीक ट्रेनरी कैलको ट्रेनरी अभिषेक मल्होत्रा हाजी नसीम खाद आरिफ बनारस खाद आदि फैक्ट्रियां आज भी अपने फायदे के लिए अंधाधुंध जल तथा वायु प्रदूषण फैला रही हैं। यही नहीं इनका गंदा पानी खुलेआम नाले के माध्यम से गंगा में बहाया जा रहा

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। नगर की औद्योगिक इकाईयां मिर्जा ट्रेनर्स माॅडल टेनरी पेस्फीक ट्रेनरी कैलको ट्रेनरी अभिषेक मल्होत्रा हाजी नसीम खाद आरिफ बनारस खाद आदि फैक्ट्रियां आज भी अपने फायदे के लिए अंधाधुंध जल तथा वायु प्रदूषण फैला रही हैं। यही नहीं इनका गंदा पानी खुलेआम नाले के माध्यम से गंगा में बहाया जा रहा हैं। प्रदूषण बोर्ड लगातार कार्यवाही कर रहा है लेकिन इनकी मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात उन्नाव के लोगों की जिन्दगी कचड़ा कीचड़ व सड़ांध से घुटण्घुटकर दम तोड़ रही है। दहीचैकी औद्योगिक क्षेत्र में चमड़ा एवं केमिकल इकाईयो की मनमानी से भूगर्भ जल दिनण्प्रतिदिन नष्ट होता जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी बंथर व अकरमपुर में स्थापित मिर्जा ट्रेनर्स पेस्फीक ट्रेनरी कैलको ट्रेनरी दीपाली कैमिकल अभिषेक मल्होत्रा मॉडल ट्रेनरी बंथर हाजी नसीम खाद आरिफ बनारस खाद आदि फैक्ट्रियांे द्वारा रसायनिक केमिकलयुक्त पानी तथा बिना ट्रीट किया

हुआ गंदा पानी खुलेआम बहाया जा रहा है जिससे जिले का भूगर्भ इतना प्रदूषित हो चुका है कि पीने योग्य नहीं बचा है। प्रदूषित जल से लोगों में घातक बीमारियां घर कर रही हैं। साथ ही उत्पादन के लिए मानक के अनुसार ईंधन न जला चमड़े का कतरन जलाया जाता है। जिससे भयंकर वायु प्रदूषण फैलता है। स्वतंत्र प्रभात औद्योगिक नगरी की मनमानी को लगातार उजागर कर रहा है। जिले के तीन छोरो दहीचैकी बंथर तथा अकरमपुर में स्थित चमड़ा तथा केमिकल इकाईयां नगर के भूगर्भ जल को दिनण्प्रतिदिन क्षति पहुंचा रही हैं।

चूंकि जल शोधन के लिए ट्रीटमेन्ट प्लान्ट में भारीण्भरकम धनराशि करनी पड़ती है लिहाजा मात्र दिखावे के लिए सौण्दो सौ लीटर पानी ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट भेजा जाता है शेष पानी बिना फिल्टर किये ही यूपीएसआईडीसी के नाले से गंगा में बहा दिया जाता है। जिसके चलते केन्द्र सरकार की नमामि गंगे योजना पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। परिणामतः लाख प्रयासो के बाद भी गंगा स्वच्छ नहीं हो पा रही हैं और अगर यही हाल रहा तो कोरोना काल में पूर्ण बंदी के बाद गंगा जितनी स्वच्छ हो पायी थींए अंधाधुंध रसायनिक जल बहाव से अपने पूर्व स्वरूप में पहुंच जायेंगी।

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