
छतमी ग्राम प्रधान समेत ग्रामीणों ने की कोटा निरस्त कराने की मांग।
छतमी ग्राम प्रधान समेत ग्रामीणों ने की कोटा निरस्त कराने की मांग। संतोष तिवारी( रिपोर्टर ) भदोही। कोरोना वायरस के दौरान यदि जिले में किसी विभाग की चर्चा अधिक हो रही है तो वह विभाग है जिला आपूर्ति विभाग। जो हमेशा ही चर्चा में रहता है। इसकी वजह यह है कि आपूर्ति विभाग केवल कोटेदारों
छतमी ग्राम प्रधान समेत ग्रामीणों ने की कोटा निरस्त कराने की मांग।
संतोष तिवारी( रिपोर्टर )
भदोही। कोरोना वायरस के दौरान यदि जिले में किसी विभाग की चर्चा अधिक हो रही है तो वह विभाग है जिला आपूर्ति विभाग। जो हमेशा ही चर्चा में रहता है। इसकी वजह यह है कि आपूर्ति विभाग केवल कोटेदारों के अलावा न तो जनता की सुनता है और न ही ग्राम प्रधान की। विभाग केवल उसी बात को सच मानता है जो कोटेदार कहता है। और कोटेदारों को भी विश्वास है कि विभाग वही बात सही मानेगा जो वे कहते है। कोटेदार और विभाग की मिलीभगत से आम जनता परेशान होती है और सरकार की योजना में जिम्मेदार लोग पलीता लगाने से बाज नही आते है।
भदोही जिले के डीघ ब्लाक के छतमी ग्राम सभा का एक मामला प्रकाश में आया है जहां पर कोटेदार की मनमानी से ग्रामीण समेत ग्राम प्रधान भी त्रस्त है लेकिन विभाग है कि कोटेदार पर अपनी कृपा लगातार बनाये है। छतमी में लोगों को 45 रूपये लीटर मिट्टी का तेल कोटेदार देता है। जबकि पूर्ति निरीक्षक ने लोगों को बताया कि सही रेट 17 रूपये 40 पैसा है कोटेदार 18 रूपये तक ले सकता है। लेकिन कोटेदार 27 रूपये प्रति लीटर अधिक दाम ले रहा है। और बारह रूपये किलो नमक भी बांटता है। ग्राम प्रधान विवेक पाण्डेय ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि कोटेदार मनमानी ढंग से राशन वितरित करते है। धमकी देते है, निर्धारित दर से अधिक पैसा लेते है, और कम राशन देते है, अंगूठा लगवा लेने के बाद घर भेज देते है बाद में राशन ले जाने को कहते है, युनिट सुधार कराने के लिए बार बार पैसा लेते है, अपात्रों को भी राशन देते है और कोटेदार के कार्यो में पारदर्शिता नही है। ग्राम प्रधान का आरोप है कि विभागीय मिलीभगत होने की वजह से कोटेदार मनमानी करता है। और कोई इसके खिलाफ कडी कार्यवाही नही होती जिससे इसका मनोबल बडा है और लोगों के साथ गलत करता है।
कोरोना वायरस के दौरान यदि जिले में किसी विभाग की चर्चा अधिक हो रही है तो वह विभाग है जिला आपूर्ति विभाग। जो हमेशा ही चर्चा में रहता है। इसकी वजह यह है कि आपूर्ति विभाग केवल कोटेदारों के अलावा न तो जनता की सुनता है और न ही ग्राम प्रधान की। विभाग केवल उसी बात को सच मानता है जो कोटेदार कहता है। और कोटेदारों को भी विश्वास है कि विभाग वही बात सही मानेगा जो वे कहते है। कोटेदार और विभाग की मिलीभगत से आम जनता परेशान होती है और सरकार की योजना में जिम्मेदार लोग पलीता लगाने से बाज नही आते है।
भदोही जिले के डीघ ब्लाक के छतमी ग्राम सभा का एक मामला प्रकाश में आया है जहां पर कोटेदार की मनमानी से ग्रामीण समेत ग्राम प्रधान भी त्रस्त है लेकिन विभाग है कि कोटेदार पर अपनी कृपा लगातार बनाये है। छतमी में लोगों को 45 रूपये लीटर मिट्टी का तेल कोटेदार देता है। जबकि पूर्ति निरीक्षक ने लोगों को बताया कि सही रेट 17 रूपये 40 पैसा है कोटेदार 18 रूपये तक ले सकता है। लेकिन कोटेदार 27 रूपये प्रति लीटर अधिक दाम ले रहा है। और बारह रूपये किलो नमक भी बांटता है। ग्राम प्रधान विवेक पाण्डेय ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि कोटेदार मनमानी ढंग से राशन वितरित करते है। धमकी देते है, निर्धारित दर से अधिक पैसा लेते है, और कम राशन देते है, अंगूठा लगवा लेने के बाद घर भेज देते है बाद में राशन ले जाने को कहते है, युनिट सुधार कराने के लिए बार बार पैसा लेते है, अपात्रों को भी राशन देते है और कोटेदार के कार्यो में पारदर्शिता नही है। ग्राम प्रधान का आरोप है कि विभागीय मिलीभगत होने की वजह से कोटेदार मनमानी करता है। और कोई इसके खिलाफ कडी कार्यवाही नही होती जिससे इसका मनोबल बडा है और लोगों के साथ गलत करता है।
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