कंट्रोलर मेडिकेशन रोकने से व्यक्ति का अस्थमा गंभीर होने का जोखिम बढ़ जाएगा डाॅ. पवन

कंट्रोलर मेडिकेशन रोकने से व्यक्ति का अस्थमा गंभीर होने का जोखिम बढ़ जाएगा डाॅ. पवन

सत्यवीर सिंह यादव अलीगढ़। कोरोना महामारी में अस्थमा पीड़ित व्यक्ति अस्थमा को नियंत्रित रखकर संक्रमण से अपना बचाव कर सकता है। मौजूदा स्थिति में अस्थमा पीड़ितों के लिए सबसे अच्छा है कि वह अपने अस्थमा को नियंत्रित रखें। कंट्रोलर मेडिकेशन रोकने से व्यक्ति का अस्थमा गंभीर होने का जोखिम बढ़ जाएगा, खासकर तब, जब हम

सत्यवीर सिंह यादव


अलीगढ़। कोरोना महामारी में अस्थमा पीड़ित व्यक्ति अस्थमा को नियंत्रित रखकर संक्रमण से अपना बचाव कर सकता है। मौजूदा स्थिति में अस्थमा पीड़ितों के लिए सबसे अच्छा है कि वह अपने अस्थमा को नियंत्रित रखें।

कंट्रोलर मेडिकेशन रोकने से व्यक्ति का अस्थमा गंभीर होने का जोखिम बढ़ जाएगा, खासकर तब, जब हम स्प्रिंग के एलर्जी के मौसम में प्रवेश कर रहे हैं। उक्त जानकारी सीनियर चेस्ट स्पेशलिस्ट डाॅ. पवन वाष्र्णेय ने दी है।


वाष्र्णेय चेस्ट क्लिनिक एण्ड केके हाॅस्पीटल के डाॅ. पवन वाष्र्णेय के अनुसार अस्थमा पर सांस के वायरस के प्रभाव के चलते जरूरी है कि मौजूदा समय में अस्थमा पीड़ित बहुत ज्यादा सावधानी बरतें। वायरस निर्मित समस्याओं की रोकथाम के लिए अस्थमा को नियंत्रित रखें।

उन्होंने बताया कि अस्थमा पीड़ितों को अस्थमा नियंत्रित रखने के लिए स्टेराॅयड इन्हेलर्स दिए जाते हैं। मौजूदा महामारी में अस्थमा पीड़ित के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि वह अपने अस्थमा को नियंत्रित रखे। स्टेराॅयड इन्हेलर्स का उपयोग रोकने से व्यक्ति को अस्थमा के बिगड़ने का खतरा होगा।


डाॅ. पवन वाष्र्णेय का कहना है कि अस्थमा पीड़ितों को कभी भी अपने काॅर्टिकोस्टेराॅयड इन्हेलर तब तक लेना बंद नहीं करना चाहिए, जब तक कोई मेडिकल प्रोफेशनल उनसे ऐसा करने को न कहे। स्टेराॅयड इन्हेलर का प्रयोग बंद करने से मरीज को संक्रमण का ज्यादा खतरा हो जाएगा क्योंकि इससे अस्थमा का नियंत्रण खराब हो जाता है।

यदि अस्थमा नियंत्रण में है, तो हाॅस्पिटल के क्लिनिक जाने से बचें। यदि अस्थमा में बुखार आ रहा है, तो डाॅक्टर से संपर्क करें और उसके द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करें। सामान्य से गंभीर अस्थमा से पीड़ित लोगों को वायरल संक्रमण से बहुत ज्यादा बीमारी पड़ने का खतरा रहता है। ये संक्रमण आपकी सांस की नली (नाक, गला, फेफड़ों) को प्रभावित करते हैं, अस्थमा का अटैक लाते हैं और इनकी वजह से निमोनिया या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज हो सकती है।

डाॅ. पवन ने बताया कि वायरल संक्रमण के और ज्यादा मामले सामने आने तथा समुदायों द्वारा बीमारी को फैलने से रोकने के उपाय करने के साथ लोगों का चिंता व तनाव से ग्रसित होना स्वाभाविक है। तीव्र भावनाएं अस्थमा के अटैक को बढ़ा सकती हैं। इसलिए खुद को चिंता व तनाव से मुक्त रखने के उपाय करें।

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