कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को PM केयर से तुरंत मदद करे केंद्रः सुप्रीम कोर्ट

कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को PM केयर से तुरंत मदद करे केंद्रः सुप्रीम कोर्ट

एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में दो लाख बच्चे सड़कों पर रह रहे हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत राहत तुरंत पहुंचनी चाहिए। कोर्ट ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि 29 मई को शुरू हुई इस योजना के तहत 4848 आवेदनों की सूची में से सिर्फ 1719 लाभार्थियों को ही लाभ मिल पाया है।

सुप्रीम कोर्ट  ने एनसीपीसीआर (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड केयर) को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सड़क पर रह रहे बच्चों के पुनर्विस्थापन को लेकर सुझाव देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि सड़क पर रहे बच्चों की पहचान तत्काल की जाए और उसका डेटा एनसीपीसीआर को दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने डीएम और डीसी को निर्देश दिया है कि ऐसे बच्चों की शैक्षणिक स्थिति का पता लगाने का निर्देश दिया जाए जिनको पीएम केयर फंड के तहत लाभ दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी।

एनसीपीसीआर ने अधिवक्ता स्वरूपमा चतुर्वेदी द्वारा दायर हलफनामे के माध्यम से अदालत को सूचित किया गया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सड़क पर रहने वाले बच्चों के संबंध में जानकारी साझा करने का निर्देश दिया गया है। जो या तो अकेले रह रहे हैं या सड़कों पर परिवारों के साथ रहते हैं और रात मलिन बस्तियों में काटते हैं।

Yamuna Expressway: यमुना एक्सप्रेसवे पर घटेगी स्पीड लिमिट, इस वजह से लिया गया फैसला  Read More Yamuna Expressway: यमुना एक्सप्रेसवे पर घटेगी स्पीड लिमिट, इस वजह से लिया गया फैसला

वहीं एएसजी नटराजन ने कहा कि यह सिर्फ चार राज्यों का आंकड़ा है, दूसरे राज्यों ने भी इनकी पहचान करना शुरू कर दिया है। यह आंकड़ा 15 से 20 लाख तक हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह चार राज्य भी अपने यहां सड़कों पर रहने वाले बच्चों का आंकड़ा दोबारा जुटाएंगे या इसी आंकड़े के साथ काम करेंगे। नटराजन ने कहा कि यह आंकड़े केवल 10 शहरों के हैं। राज्य बच्चों की पहचान की प्रक्रिया शुरू करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने बताया एक हफ्ते में बच्चों का आंकड़ा पोर्टल पर अपलोड करेंगे।

Ration Card: राशन कार्ड में कैसे करें अपना मोबाइल नंबर अपडेट? देखें पूरा प्रोसेस  Read More Ration Card: राशन कार्ड में कैसे करें अपना मोबाइल नंबर अपडेट? देखें पूरा प्रोसेस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सड़क पर रह रहे बच्चों को तरजीह देनी होगी। इसमें किसी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए। आप अपने अधिकारियों से इसपर काम करने को कहें जैसे कोरोना के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए किया गया था"।

8th Pay Commission: रेलवे कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर! इस दिन लागू होगा 8वां वेतन आयोग  Read More 8th Pay Commission: रेलवे कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर! इस दिन लागू होगा 8वां वेतन आयोग


जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने कहा, 'हम चाहते हैं कि इसका लाभ हर बच्चे तक पहुंचे। अभी तक हम अंधेरे में ही तीर मार रहे हैं।" कोर्ट ने केंद्र को दो सप्ताह में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें इन बच्चों की शैक्षिक स्थिति के बारे में जानकारी के साथ योजना के तहत उठाए गए कदमों का विवरण हो। यह आदेश एक स्वत: संज्ञान याचिका में आया है जहां न्यायालय उन बच्चों के लिए राहत पर विचार कर रहा है जिन्हें कोविड-19 के कारण देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है।

एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में दो लाख बच्चे सड़कों पर रह रहे हैं। दिल्ली की सड़कों पर 70 हज़ार बच्चे रह रहे हैं। एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने कहा कि सड़क पर रह रहे बच्चों के पुनर्विस्थापन को लेकर किसी राज्य ने अभी तक हलफनामा नहीं दाखिल किया है।

Tags:

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel