
वैश्विक महामारी में बिना ट्रीट किया पानी बहाकर लोगों की जिंदगी से खेल रहे उद्योग
स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। कभी औद्योगिक नगरी बसाकर लोगों को विकास और रोजगार के सपने दिखाने वाले उद्योगपति आज अपने उद्योगों के संचालन और अधिकाधिक लाभ कमाने की दौड़ में शामिल होकर जनपदवासियो की जान के दुश्मन बन चुके हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित चमड़ा तथा केमिकल इकाईयो की
स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव।
कभी औद्योगिक नगरी बसाकर लोगों को विकास और रोजगार के सपने दिखाने वाले उद्योगपति आज अपने उद्योगों के संचालन और अधिकाधिक लाभ कमाने की दौड़ में शामिल होकर जनपदवासियो की जान के दुश्मन बन चुके हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित चमड़ा तथा केमिकल इकाईयो की मनमानी से फैला प्रदूषण और विकलांगता स्वयं बयां कर रही है।
आलम यह है कि इस क्षेत्र से निकलना है तो आपकी पीठ पर आक्सीजन सिलेण्डर और मुंह में मास्क होना जरूरी है वर्ना पता नहीं कहां, किस मोड़ पर आप गश खाकर गिर पड़ें। कमोवेश यही हाल यहां आसपास क्षेत्र के रहने लोगों का है जो अपनी छतो पर दस मिनट के लिए भी जाने से कतराते हैं, घरो के अन्दर रहने के लिए भी नियमित रूप से रूम स्प्रे का छिड़काव करना पड़ता है। आलम यह है कि दुर्गन्ध की वजह से यहां आसपास रहने वाले लोगों के यहां रिश्तेदार भी आने से कतराते हैं।
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