पहले जूते लात खाई बाद खूब मिठाई !

पहले जूते लात खाई बाद खूब मिठाई !

कैमरे के सामने जमकर जिससे लात खाई,उसी से कैमरे के सामने आज मिठाई खाने का आनंद सिर्फ उन्नाव के पत्रकार कृष्णा तिवारी ही जान सकते हैं. तिवारी जी को जब उन्नाव के सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कैमरे के सामने सरेआम लतिया दिया तो पूरे देश के पत्रकारों में कोहराम मच गया.उन्नाव और यूपी में जगह

 कैमरे के सामने जमकर जिससे लात खाई,उसी से कैमरे के सामने आज मिठाई खाने का आनंद सिर्फ उन्नाव के पत्रकार कृष्णा तिवारी ही जान सकते हैं. तिवारी जी को जब उन्नाव के सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कैमरे के सामने सरेआम लतिया दिया तो पूरे देश के पत्रकारों में कोहराम मच गया.उन्नाव और यूपी में जगह जगह पत्रकारों ने इनके नहीं बल्कि मीडिया के स्वाभिमान के लिए जमकर धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिया था.

लेकिन मीडिया का स्वाभिमान तो तब बचे, जब पत्रकारों में कुछ गैरत बची रह गई हो.होना तो यह चाहिए था कि तिवारी जी शासन- प्रशासन से समझौता करने की बजाय अपने पत्रकार साथियों के साथ मिलकर या अकेले ही कानूनी लड़ाई लड़ते.ताकि अगली बार उन्हें या फिर उनके जैसे किसी और पत्रकार को कोई बददिमाग अफसर किसी सड़क छाप गुंडे की तरह पीटने से पहले सौ बार सोचता.तिवारी जी ने खुद तो लात खाने के बाद मिठाई खा ली लेकिन शासन- प्रशासन को यह प्रेरणा भी दे दी कि मंदिर का घंटा समझकर जब चाहो पत्रकारों को बजा दिया करो.बहरहाल तिवारी जी को पत्रकार मानना मीडिया की तौहीन है

क्योंकि जो व्यक्ति खुद के लिए नहीं लड़ सकता वह भला पत्रकारिता करके किसी गरीब- लाचार के लिए क्या लड़ेगा राघवेंद्र प्रताप सिंह-सीडीओ से पत्रकार कृष्णा तिवारी लात खाने के बाद अब मिठाई खा कर खुश हो लिए हैं। कृष्णा तिवारी का कहना है कि CDO ने उनसे माफी मांग ली है। पिटाई और मिठाई का वीडियो फोटो तो दिखा लेकिन माफी का नहीं। तिवारी जी इसी को नाक कटान कहते हैं आ थू अतुल तिवारी आक्रोश-अफसोस है कि आपके साथ हुए अन्याय के लिए आवाज उठाई और खामखाँ कुछ तथाकथित लोगों के बुरे बने पूरे प्रदेश के आक्रोशित पत्रकारों के मुंह पर तमाचा है आपकी ये मुस्कुराहट अब समझ आ रहा है कि पत्रकारिता क्यों सिसक रही है और क्यों हम जैसे लोग हर दिन शोषण का शिकार हो रहे हैं..!

पत्रकार कृष्णा तिवारी को CDO साहब ने मना लिया है, माफ़ी भी माँग ली है और मिठाई भी खिला दी है.CDO साहब ने कहा है कि पहचान नहीं पाए “सॉरी”। अगर योगीराज में एक निर्दोष पत्रकार को थप्पड़ मारने की सजा एक मिठाई का डिब्बा है.तो मैं भी ऐसे अत्याचारी अधिकारियों में थप्पड़ मारना चाहता हूँ.और सजा के रूप में मोहल्ले में मिठाइयाँ बाँटने के लिए तैयार हूँ।

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