पीड़ित विकलांगो की सुनी समस्याए निर्मल रावत

पीड़ित विकलांगो की सुनी समस्याए निर्मल रावत

पीड़ित विकलांगो की सुनी समस्याए निर्मल रावत


 


राजधानी लखनऊ के सदर क्षेत्र में शारीरिक विकृति से ग्रसित सभी दिव्यांग जनों को बराबरी का दर्जा मिलना होकर धरातल पर इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जाएगा तब तक दिव्यांग समाज का कभी भी विकास नहीं हो सकता हैं क्योंकि सरकारें आती-जाती रहती हैं

आश्वासन तो दिव्यांगों को हर सरकार में दिया जाता है परंतु उसे साकार रूप देने में सरकार पता नहीं क्यों अपने हाथ पीछे कर लेती है वैसे तो सरकारी सब्सिडी के रूप में इन्हें ₹500 पेंशन दी जाती है परंतु वर्तमान महंगाई के दौर में इनके घरों में दो वक्त का चूल्हा भी ढंग से नहीं जल पाता है इतनी महंगाई में तो ₹500 में तो 5 दिनों की सब्जी भी नहीं मिलती है ? यदि सरकार वास्तव में इन्हें विकास की मुख्यधारा में जोड़ना चाहती है

तो इन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया देना चाहिए ताकि इन्हें रोजगार के लिए दर बदर की ठोकरें ना खानी पड़े  रोजगार देखकर इन्हें इनकी उपयोगिता और इनकी गुणवत्ता को उत्साह वर्धन करके प्रोत्साहित करें तो इन्हें भी आम इंसान की तरह जिंदगी जीने में सहूलियत मिलेगी ।

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इन दिव्यांग जनों को सरकार द्वारा ऐसे अवसर मुहैय्या कराए जाने चाहिए जिससे कि इन्हें अपना जीवन यापन करने में किसी की उलाहना, जिल्लत और शारीरिक विकृति होने का दंश ना झेलना पड़े क्योंकि यदि इन समाज के लोगों को अवसर मिल जाते हैं तो यह अपनी बुद्धि विवेक के दम पर वह सभी कार्य बखूबी कर सकते हैं जो एक सामान्य व्यक्ति अपने जीवन में करता है ।
बस जरूरत है सरकार को इन्हें प्रोत्साहित और इनका शारीरिक एवं मानसिक रूप से उत्साहवर्धन करने की ।

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