उत्तर प्रदेश जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत मतलब भ्रष्टाचारियों से लोहा लेना है,शिकायतकर्ता पर ही दर्ज होते हैं मुकदमे
बराबर विभाग के लोग कॉर्डिनेट भी करते रहे किन्तु जब फाइनल रिपोर्ट लगी तो किसी समस्या का निस्तारण नही किया गया

उत्तर प्रदेश सरकर के द्वारा एक पोर्टल का संचालन किया जाता है।जिस ऐप का नाम जनसुनवाई पोर्टल है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि उत्तर प्रदेश का कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत अथवा समस्या इस पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज कर सकता है और उसे सम्बंधित अधिकारी व सम्बंधित विभाग में भेजकर उसका निस्तारण करवा सकता है।
परंतु कम ही लोगो को पता होगा कि संबंधित विभाग के शिकायत की जांच उसी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी करते हैं जिनके खिलाफ आप लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच करने के लिए पोर्टल के माध्यम से गुहार लगाते हैं।मिर्ज़ापुर के छोटे से क्षेत्र अहरौरा में जब मैंने जनसुनवाई पर शिकायत करने वाले दर्जनों लोगो से बात की तो मामला जानकर हैरान रह गया।मैंने बारी बारी से लोगो से बात की सबने अलग अलग कहानी बतायी।एक व्यक्ति मीले राजेश सिंह जो क्षेत्र की समस्याओं को लेकर आयेदिन अधिकारियों को पत्र लिखते हैं।ईन्होंने बताया अलग अलग समस्याओं के करीब एक दर्जन से ऊपर मामले जनसुनवाई पर शिकायत किये है।इस दौरान हर मामले को संज्ञान भी लिया गया,
बराबर विभाग के लोग कॉर्डिनेट भी करते रहे किन्तु जब फाइनल रिपोर्ट लगी तो किसी समस्या का निस्तारण नही किया गया अलबत्ता राजेश सिंह के ऊपर भ्रष्ट लोगो की नजर हो गयी, यहां तक जिसके निस्तारण के लिए सम्बंधित विभाग की शिकायत की थी उस विभाग के लोगो व अन्य भ्रष्ट लोगो की टीम के द्वारा एक ही केश में इनके ऊपर दर्जनों मुकदमे दर्ज कर दिये ।जब इससे भी विभाग के लोगो का मन नही भरा तो करप्ट अधिकारियों से मिलीभगत कर शासन को गैंगेस्टर की कार्यवाही करने के लिए पत्र लिख दिये।एक और आरटीआई कार्यकर्ता आशीष केशरी कहते है ""जिस विभाग में गलत हो रहा हो रहा हो और उसी विभाग के अधिकारी के बारे में आप IGRS पर शिकायत करेगे तो वही विभाग के अधिकारी आपके शिकायत का निस्तारण करेंगे
तो वो कितना सही निस्तारण होगा ? जो कि बहुत सोचनीय हैं" इसमे और सुधार होना चाहिए ताकि लोगो को न्याय मिल सके।वही अमित सिंह जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायकर्ता ने कहा "चोर को ही किसी दुसरे चोर को पकड़ने के लिए कैसे कहा जा सकता है"यानी जिसपर आरोप हो और उसी व्यक्ति को जांच करने के लिए बोल दिया जाये तो वो अपने बचाव के लिए हर हथकंडा अपनाता है।ऐसे में लोग न्याय का उम्मीद कैसे कर सकते हैं।इस तरह कई लोग सामने आए जिन्होंने जनसुनवाई पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करवायी करीब 99%लोगो का यही कहना था कि इस पोर्टल पर शिकायत करने से कोई फायदा नहीं होता अलबत्ता आप शिकायत करके खुद विरोधियों,भ्रष्ट अधिकारियों के निशाने पर आ जाते हैं।
पुरवोत्तर सरकार में तो इस पोर्टल पर मजाक चल ही रहा था। पर इस सरकार से लोगों की उम्मीदें कुछ ज्यादा ही बढ़ गयीं। मुख्यमत्री योगी भी लोगों की अपेछाओं पर खरा उतरने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों और मंत्रियों सभी को निर्देश दिए हैं कि कोई भी फाइल किसी भी टेबल पर तीन दिन से अधिक नहीं रुकनी चहिये। यह होने भी लगा। परन्तु अफसरशाही और लालफीता शाही को कौन दुरुस्त करे जिनका आदत ही बन चुका है टेबल के नीचे से रिश्वत लेने की,इसको सुधार पाना आसान काम नहीं है।
आखिर पुरानी व्यवस्थाओं में रचे बसे लोग इतनी जल्दी सुधरने का नाम तो ले नहीं सकते।नाही एक पीड़ित अपनी आवाज डायरेक्ट लखनऊ बैठे सिपहसालारो तक पहुँचा सकता है।ऐसे में जो चल रहा है उसे ही लोग प्रक्रिया मान लेते हैं,घुस लेने के आदति लोग अपनी व अपने विभाग की कमियों पर पर्दा डालने के लिए पीड़ित के बातों को अनसुना कर जनसुनवाई पर मन मुताबिक रिपोर्ट लगाकर मामले का निपटारा कागजो पर कर देते हैं।

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