Haryana: हरियाणा में यह घोड़ा बना चर्चा का विषय, 1 करोड़ की लगी बोली
एक करोड़ रुपये तक की लगी बोली
मेले के दूसरे दिन पशुपालक और पर्यटक बड़ी संख्या में ‘प्रताप रूप’ के आसपास जुटे दिखे। इसकी कीमत सुनकर लोग हैरान रह गए। घोड़े के मालिक, पंजाब के तूर वंजारा गांव के सरपंच हरप्रीत सिंह और उनके पिता निर्भय सिंह के अनुसार, इस घोड़े के लिए एक करोड़ रुपये तक की कीमत लगाई गई, लेकिन उन्होंने इसे बेचने से इनकार कर दिया।
हरप्रीत सिंह का कहना है कि प्रताप रूप की ऊंचाई, सफेद रंग और नुकरा नस्ल की शुद्धता के चलते इसकी कीमत इतनी अधिक आंकी गई है। फिलहाल वे इसे बेचने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अगर कभी कोई ऐसा खरीदार मिला जो इसकी सही देखभाल कर सके, तभी बिक्री पर विचार करेंगे।”
एक सेकेंड में 40 फीट की रफ्तार
मालिक के मुताबिक, प्रताप रूप की रफ्तार भी लोगों को चौंकाने वाली है। यह घोड़ा एक सेकेंड में करीब 40 फीट तक दौड़ सकता है, जो इसे और खास बनाता है।
सेवा के लिए रखे गए हैं 3 लोग
हरप्रीत सिंह ने बताया कि प्रताप रूप की देखभाल के लिए तीन लोगों को विशेष रूप से रखा गया है। इसके अलावा वे खुद और उनके पिता भी उसकी सेवा में लगे रहते हैं। उनके पास कई अन्य घोड़े भी हैं, जिनके लिए डेढ़ एकड़ में फार्म बनाया गया है, लेकिन प्रताप रूप को घर में ही रखा गया है।
खास डाइट और देखभाल
प्रताप रूप को दिन में तीन बार अलग-अलग आहार दिया जाता है। सुबह 2 से 3 किलो काले चने, दिन में 11 बजे फार्म में घुमाया जाता है। दोपहर खुला छोड़ा जाता है, जहां वह घास चरता है और शाम को घर लाकर दूध पिलाया जाता है।
सर्दियों में दूध में बादाम उबालकर दिया जाता है और उबला हुआ भोजन खिलाया जाता है। गर्मियों में सप्ताह में दो दिन सेब भी खिलाए जाते हैं।
रोज नहाना और तेल मालिश
हरप्रीत सिंह ने बताया कि प्रताप रूप को हर रोज नहलाया जाता है और उसके बाद तेल से मालिश की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक घंटा लगता है, जिसमें फार्म पर काम करने वाले तीन लोग मदद करते हैं।
घोड़ों के शौक की कहानी
निर्भय सिंह ने बताया कि उनके दो बेटे—दलजीत सिंह (ऑस्ट्रेलिया) और गुरप्रीत सिंह (न्यूजीलैंड) में रहते हैं। घोड़ों का शौक उन्हें बेटे दलजीत सिंह के कारण लगा। इस शौक के चलते उन्होंने अपना पुश्तैनी मकान छोड़ दिया, जहां अब प्रताप रूप और दूसरा घोड़ा प्रेम रतन रहते हैं।
बेटे ने चुपचाप खरीदी थी घोड़ी
निर्भय सिंह के अनुसार, करीब चार साल पहले बेटे दलजीत सिंह ने बिना बताए एक घोड़ी खरीद ली थी और उसे दोस्त के पास रख दिया था। तीन महीने बाद जब उन्हें पता चला तो उन्होंने उसे घर पर रखने की अनुमति दी। उसी घोड़ी की सवारी से उनका खुद का शौक भी बढ़ गया।
‘प्रेम रतन’ भी नहीं है बिक्री के लिए
उस घोड़ी से जन्मे बछेड़े का नाम प्रेम रतन रखा गया, जो 18 महीने का मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा है। इसके बाद ही उन्होंने 60 लाख रुपये में प्रताप रूप खरीदा। आज वे प्रताप रूप पर सवार होकर गांव में घूमते हैं और खेती छोड़कर घोड़ों के व्यापार में भी उतर चुके हैं।
मेले में बना चर्चा का विषय
अपनी खूबसूरती, देखभाल और ऊंची कीमत के चलते ‘प्रताप रूप’ न सिर्फ पिहोवा पशु मेले का स्टार बन गया है, बल्कि हर किसी के बीच चर्चा का विषय भी बना हुआ है।

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