प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल विदेश नीति, बढ़ता वैश्विक प्रभाव।

वैश्विक लोकप्रियता के शीर्ष पर प्रधानमंत्री।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल विदेश नीति, बढ़ता वैश्विक प्रभाव।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति ने एक नई दिशा और ऊर्जा प्राप्त की है। आज भारत केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक सशक्त और निर्णायक आवाज़ बनकर उभरा है।
मोदी जी की सरकार ने “पड़ोसी पहले” की नीति से लेकर “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य” के विचार तक, विश्व को भारतीय दृष्टिकोण से जोड़ने का प्रयास किया है। जी–20 शिखर सम्मेलन की सफल मेज़बानी ने भारत की कूटनीतिक शक्ति और आयोजन क्षमता को सिद्ध किया। वहीं, अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी गहरी हुई है।
 
संयुक्त राष्ट्र में भारत की सक्रिय भूमिका, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ सख़्त रुख और ऊर्जा सुरक्षा से लेकर तकनीकी सहयोग तक भारत की प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से सामने रखती है। 
लोकप्रियता में विश्व के शीर्ष पर मोदी जी- भारत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आज केवल भारत के नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं। अनेक वैश्विक सर्वेक्षणों में उन्हें लगातार नंबर एक स्थान मिलना इस बात का प्रमाण है कि उनकी छवि सीमाओं से परे जाकर विश्वजन तक पहुँची है।मोदी की लोकप्रियता का रहस्य केवल उनकी सशक्त नीतियों में नहीं, बल्कि उनके जन–संपर्क कौशल और सशक्त नेतृत्व में निहित है। अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया और जापान से लेकर खाड़ी देशों तक, जहाँ भी मोदी जाते हैं, भारतीय प्रवासी ही नहीं, स्थानीय नागरिक भी उन्हें उत्साह से स्वागत करते हैं।
 
विदेश नीति हमेशा चर्चा में रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में इसकी दिशा और धारा बदल गई है। अब भारत केवल दूर का दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने वाला देश बन गया है। यही वजह है कि मोदी सरकार की विदेश नीति को अक्सर “बहु–संतुलन” (मल्टी एलाइनमेंट)कहा जाता है।
पड़ोसियों से रिश्ते की पहल - मोदी जी ने 2014 में शपथ लेते ही सभी शार्क देशों के प्रमुखों को आमंत्रित कर पड़ोस को प्राथमिकता दी थी और बहुत ही सौहाद्रता पूर्वक रिश्ता बनाने की पहल की थी। बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौता, नेपाल में राहत कार्य और श्रीलंका–मालदीव से रिश्तों की मजबूती ने भारत की छवि को निखारा। 1947 में स्वतंत्रता के बाद से पाकिस्तान के साथ रिश्ते जरूर तनावपूर्ण रहे हैं, पाकिस्तान अपनी आतंकवादी गतिविधियों से बाज नहीं आने के कारण भारत के हमेशा निशाने पर रहा है और अनेक युद्ध हारने के बाद भी वह आतंकवादियों को लगातार वित्तीय पोषण कर रहा है लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने में सफलता पाई और संयुक्त राष्ट्र संघ के कई मंचों पर भारत ने पाकिस्तान को फटकार लगाई है इसके अलावा उसकी आतंकवादी गतिविधियों को पूरे विश्व के सामने उजागर भी कर दिया है।
 
अमेरिका,रूस चीन और पश्चिमी देशों से बराबरी के रिश्ते -
     मोदी की विदेश नीति का सबसे अहम पहलू यह है कि भारत ने हर ध्रुव से संबंध मज़बूत किए।अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी और क्वाड रूस से ऊर्जा और हथियार सहयोग।यूरोप, खासकर फ्रांस के साथ रक्षा सहयोग यानी भारत ने संतुलन बनाए रखा और किसी एक खेमे पर निर्भर नहीं रहा। नाटो के देशों के राष्ट्र प्रमुखों से भारत के प्रधानमंत्री के रिश्ते काफी मजबूत एवं दोस्ताना है, इसराइल फ्रांस कनाडा ब्रिटेन इटली भारत को अपना सच्चा हितैषी और अभिन्न मित्र  मानते हैं यह मोदी जी की कूटनीतिक बड़ी सफलता है।
 
चीन से रिश्ते किंतु सतर्क भारत-
चीन के साथ व्यापार तो बढ़ा, लेकिन डोकलाम और गलवान जैसी घटनाओं ने रिश्तों को कठिन बनाया। इसके जवाब में भारत ने क्वाड और इंडो–पैसिफिक रणनीति के ज़रिए चीन को संतुलित करने की कोशिश की।
2023 में दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन ने भारत की कूटनीति को नई ऊँचाई दी। अफ्रीकी संघ को G20 का स्थायी सदस्य बनवाने में भारत की पहल को दुनिया भर में सराहा गया। यह संदेश साफ था कि भारत केवल अपने लिए नहीं, बल्कि विकासशील देशों के लिए भी नेतृत्व कर रहा है।अमेरिका में मैडिसन स्क्वायर गार्डन "हाउडी मोदी "जैसे कार्यक्रमों ने प्रवासी भारतीयों को गर्व का अहसास कराया। योग और आयुर्वेद को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाना भारत की सांस्कृतिक ताकत को दर्शाता है।
 
भारत के सामने चुनौतियां अभी बाकी है भारत की विदेश नीति कई मायनों में सफल रही है। चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की महत्वपूर्ण मीटिंग में भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने चीन के राष्ट्रपति से जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ जो गठबंधन किया है उससे विदेश नीति में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है उससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि भारत चीन और रूस यदि एक साथ हो जाए तो अमेरिका तथा नाटो देश इन्हें चुनौती नहीं दे सकते है। इसके बावजूद में भविष्य में चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं चीन के साथ सीमा विवाद अभी भी है हालांकि इसका प्रभाव काफी कम हुआ है किंतु पाकिस्तान की जिद और अमेरिका को पाकिस्तान जैसे आतंकवादी देश को अपने पक्ष में करने से दक्षिण एशिया में तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है। 
 
पड़ोसी देशों में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का कारण हैं।कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति ने भारत की छवि को स्पष्ट एवं पारदर्शी बनाकर वैश्विक देशों को अपनी और आकर्षित किया है। अब भारत विश्व गुरु और आर्थिक सामरिक तथा वैज्ञानिक वैश्विक शक्ति दोनों के रूप में उभर रहा है। दुनिया का कोई भी बड़ा फैसला भारत की भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है।  यही मोदी जी की सरकार की विदेश नीति की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
 
संजीव ठाकुर,लेखक, चिंतक,स्तंभकार, 

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