उधार के कर्मचारियाें के भरोसे तहसील न्यायालयों का काम

उधार के कर्मचारियाें के भरोसे तहसील न्यायालयों का काम

उतरौला। तहसील मुख्यालय के राजस्व न्यायालयों का हाल इन दिनों बदहाल है। यहां न्यायिक कार्य उधारी के कर्मचारियों के भरोसे चल रहे हैं। न्यायालय में कर्मचारियों के कई पद रिक्त हैं। इन पदों पर दूसरे विभाग के कर्मचारियाें को जिम्मेदारी तो दे दी गई है, लेकिन कार्य सुचारु नहीं हो पा रहे। ऐसे में महीनों से वादकारी न्याय की उम्मीद लेकर आते हैं लेकिन तारीख पाकर मायूस लौट जाते हैं।
 
तहसील के छह न्यायालय एसडीएम, एसडीएम न्यायिक, तहसीलदार, तहसीलदार न्यायिक, नायब तहसीलदार उतरौला और नायब तहसीलदार रेहरा में न्याय दिलाने का जिम्मा अस्थायी कर्मियों के कंधों पर टिका है। तहसीलदार न्यायालय का पेशकार कार्य प्रशासनिक अधिकारी प्रमोद कुमार देख रहे हैं। एसडीएम और एसडीएम न्यायिक न्यायालयों में संग्रह विभाग के कानूनगो और लेखपाल अदालती काम संभाल रहे हैं।
 
नायब तहसीलदार उतरौला का कार्य रजिस्ट्रार कानूनगो और रेहरा का कार्य ग्राम सभा के कर्मचारी कर रहे हैं। पत्रावली का रखरखाव राजस्व निरीक्षक से कराया जा रहा है और क्रिमिनल अहलमद का कार्य भी संग्रह विभाग के कर्मचारी से कराया जा रहा है। सबसे गंभीर स्थिति आशुलिपिक की कमी से है। आदेश टाइप न हो पाने के कारण पत्रावलियां अधूरी पड़ी रहती हैं और वादकारियों को बार-बार अगली तारीख का इंतजार करना पड़ता है।
 
वादकारी रमेश यादव का कहना है कि हम गरीब लोग महीने-दो महीने की मजदूरी खर्च करके अदालत आते हैं, लेकिन हमें सिर्फ तारीख दी जाती है। यह हमारे साथ अन्याय है। शब्बीर अहमद ने कहा कि न्याय की उम्मीद लेकर आते हैं, पर हर बार निराश लौटना पड़ता है।
 
वकीलों को भी परेशानी
कर्मचारियों की कमी से काफी दिक्कत है। वादकारियों के साथ ही अधिवक्ताओं को भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिलाधिकारी से समस्या निराकरण की मांग की गई है। अखिलेश सिंह, अध्यक्ष अधिवक्ता संघ
 
 उच्चाधिकारियों को है जानकारी
कर्मचारियों की कमी का प्रकरण उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है। जल्द ही समाधान कराने का प्रयास किया जा रहा है।
अभय सिंह, उपजिलाधिकारी

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