क्या अब धर्मस्थला में दबी लाशों के राज दफन ही रह जाएंगे? 

क्या अब धर्मस्थला में दबी लाशों के राज दफन ही रह जाएंगे? 

कर्नाटक के धर्मस्थल में कई शवों को दफनाने केस में नया मोड़ आया है इससे स्पष्ट हो रहा है कि सरकार धर्मस्थल का सच उजागर करना नहीं चाहती क्योकि इस के राजनीतिक नफे नुकसान का खतरे जुड़े हैं इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने शिकायतकर्ता सीएन चिनैयया को ही गिरफ्तार किया है।अब देर सवेर जांच भी बंद होने की संभावना है। चिनैय्या ने धर्मस्थल में कई हत्याओं, बलात्कारों और शवों को दफनाने का आरोप लगाया था। एसआईटी के चीफ प्रणव मोहंती ने शुक्रवार देर रात आरोपी से पूछताछ की थी और शनिवार की सुबह उसे अरेस्ट कर लिया गया।कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने गिरफ्तारी की पुष्टि की और कहा कि शिकायतकर्ता चिनैय्या को शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया। वह पूर्व सफाई कर्मचारी है। उसने दावा किया कि उसने 1995 से 2014 तक इस क्षेत्र में काम किया था। आपको बता दें कि पश्चिमी घाट की सुंदर निचली ढलानों पर स्थित, 800 वर्ष पुराना तीर्थस्थल गांव, धर्मस्थल, कर्नाटक राज्य के दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथांगडी क्षेत्र में नेत्रवती नदी के तट पर स्थित है, जहां प्रतिदिन लगभग हजारों श्रद्धालु आते हैं।
 
इस मामले की शुरुआत 3 जुलाई 2025 को हुई जब कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर का एक 48 वर्षीय दलित कर्मचारी पुलिस अधीक्षक के सामने आया। कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर के इस पूर्व कर्मचारी का कहना था कि उसे बच्चों सहित सैकड़ों शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया। दरअसल धर्मस्थल मंजूनाथ मंदिर के पास तीर्थयात्रियों का एक समूह खड़ा है। प्रतिदिन लगभग 10,000 तीर्थयात्री इस मंदिर से गुजरते हैं।चिनैय्या ने दावा किया था कि12 साल बाद छिपने के बाद वह सामने आया है जो कभी अत्यंत प्रतिष्ठित धर्मस्थल मंदिर में सफ़ाई कर्मचारी के रूप में काम करता था, 3 जुलाई को पुलिस को बताया कि वह "बेहद भारी मन से और अपराधबोध की असहनीय भावना से उबरने के लिए" सामने आ रहा है।
 
उसने कहा था कि अब, मुखबिर उन "सैकड़ों शवों" को निकालने में मदद करना चाहता है जिन्हें उसने 1995 से 2014 के बीच दफनाया था - उनमें से कई महिलाएं और लड़कियां थीं, जिनकी कथित तौर पर यौन उत्पीड़न के बाद हत्या कर दी गई थी, लेकिन उनमें बेसहारा पुरुष भी थे जिनकी हत्याओं का उसने दावा किया था कि उसने खुद गवाह बनकर देखी थी।
इस पूर्व कर्मचारी ने पुलिस अधिकारी को शिकायत के साथ ही एक बहुत पुराने शव की खोपड़ी और कुछ अन्य चीजों को अपनी शिकायत के समर्थन में पुलिस को सोंपा और दावा किया कि यह उन्हीं शवों में से एक शव का अंग है जो उससे धर्मस्थल के जंगल में दबवाया गया था। 
 
इस पूर्व कर्मचारी को पुलिस ने अदालत में बयान दर्ज कराए जहां से उसे संरक्षित गवाह बतौर सुविधा दी गई। सैकड़ों शवों जिनमे की बच्चियों युवतियों के संदिग्ध अवस्था वाले शव भी बिना कानूनी कार्रवाई के मंदिर के पास जंगल मे दबाव बना कर दबवाने की शिकायत से समूचे कर्नाटक समेत देश सिहर उठा। आरोपों की गंभीरता कार्यकर्ताओं के लगातार दबाव और सार्वजनिक आक्रोश के बाद,  कांग्रेस पार्टी द्वारा शासित कर्नाटक सरकार ने हमले और हत्या के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
 
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसे धर्मस्थल में महिलाओं और नाबालिगों सहित कई शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ शवों पर यौन उत्पीड़न के निशान थे। उन्होंने इस संबंध में मजिस्ट्रेट के सामने बयान भी दिया था।
 
यहां यह भी बता दें कि धर्मस्थला और आसपास के इलाकों से प्रासंगिक कालखंड में सैकड़ों लोगों की गुमशुदगी की शिकायत सामने आयीं जिनमे कई नाबालिग व बालिग लड़कियों की गुमशुदगी शामिल थी। रिकार्ड बताते हैं कि 1987 में, 17 वर्षीय पद्मलता के बलात्कार और हत्या के विरोध में कस्बे में मार्च आयोजित किए गए थे। इन प्रदर्शनों ने प्रभावशाली हस्तियों द्वारा कथित तौर पर मामले को छुपाने की कोशिशों को उजागर किया, लेकिन कथित तौर पर धमकी और कानूनी दबाव के चलते उन्हें दबा दिया गया।
 
2012 में एक और किशोरी के साथ बलात्कार और हत्या के बाद, शहर में "सौजन्य के लिए न्याय" आंदोलन के साथ फिर से विरोध प्रदर्शन भड़क उठे। वह मामला अभी तक अनसुलझा है। आपको बता दें कि 11 जुलाई को, वह व्यक्ति, पूरी तरह से काले कपड़े पहने हुए तथा अपनी आंखों को केवल एक पारदर्शी पट्टी से ढके हुए, अपना बयान दर्ज कराने के लिए बेल्थांगडी की एक स्थानीय अदालत में उपस्थित हुआ।शिकायत मे चिनैय्या ने बताया कि 1995 में सफाई कर्मचारी के रूप में मंदिर में शामिल हुआ था।
 
अपनी नौकरी की शुरुआत में, उसने नदी के किनारे लाशें देखीं। उसने बताया, "कई महिलाओं की लाशें बिना कपड़ों या अंतर्वस्त्रों के मिलीं। उस समय अधिकारियों को इसकी सूचना देने के बजाय,उसके पर्यवेक्षकों ने उसे पीटा और धमकी दी कि, "हम तुम्हें टुकड़ों में काट देंगे; हम तुम्हारे परिवार के सभी सदस्यों की बलि चढ़ा देंगे, जिसके बाद उसे "इन शवों को नष्ट करने" के लिए मजबूर होना पड़ा।"
 
उसने बयान में बताया, "कई बार ये लाशें नाबालिग लड़कियों की होती थीं। उनके शरीर से फटे कपड़े और गुप्तांगों पर चोटें उनके साथ हुए क्रूर यौन उत्पीड़न का संकेत देती थीं।" और "कुछ लाशों पर तेज़ाब से जलने के निशान भी थे।"चिनैय्या ने पुलिस और अदालत को बताया है कि वह ब्रेन-मैपिंग और पॉलीग्राफ़ सहित किसी भी परीक्षण के लिए तैयार है, और सामूहिक दफ़न स्थलों की पहचान करने को तैयार है। आने वाले दिनों में कुछ स्थलों की खुदाई की जा सकती है। मंदिर के पर्यवेक्षकों से जुड़े एक व्यक्ति ने उसके ही परिवार की एक लड़की का यौन उत्पीड़न किया, जिससे दहशत होकर दिसंबर 2014 में, वह अपने परिवार के साथ धर्मस्थल से भाग गया और अपने ठिकाने के बारे में किसी को नहीं बताया।उन्होंने बताया कि तब से परिवार पड़ोसी राज्य में छिपकर रह रहा है और अपना निवास स्थान बदल रहा है।
 
चिनैय्या की बताई गई 13 जगहों पर खुदाई की गई। वहां एक कंकाल मिला। लेकिन वह एक आदमी का था। कुछ हड्डियां मिलीं, जो कुछ समय पहले आत्महत्या करने वाले एक शख्स की बताई जा रही हैं। इतना ही नहीं, इस खुदाई के दौरान सुजाता भट्ट नाम की महिला सामने आई। उसने दावा किया था कि उसकी बेटी अनन्या भट्ट 2003 में लापता हो गई थी। उसने धर्मस्थल में बेटी को मारे जाने का आरोप लगाया लेकिन मामला तूल पकड़ा तो वह सच्चाई कुछ और ही निकली। उसकी कोई बेटी ही नहीं थी। बाद में महिला भी अपने बयान से पलट गई। उसने एक यूट्यूबर पर आरोप लगाया कि उसने जबरन उससे झूठ कहलवाया था।
 
चिनैय्या के आरोपों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने शनिवार उसे गिरफ्तार कर लिया। उसकी 10 दिन की हिरासत मांगी गई है।हालांकि कुछ  लोगों का आरोप है कि मंदिर के प्रबंधन से एक बड़ा प्रभावशाली राजनीतिक परिवार का जुडाव है इसी के चलते सिर्फ निपटाउ तरीके से आरोपों की जांच और कुछ स्थानो की खुदाई की गई शुरुआत में खुदाई के काम के लिए उपलब्ध आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल नहीं किया गया और अब शिकायत कर्ता को सिर्फ इस आधार पर झूठा ठहराया गया कि उस ने जो मानव खोपड़ी महिला की बता कर साक्ष्य बतौर सोंपी वह जांच में पुरुष की निकली। अब शिकायत कर्ता एसआइटी की कस्टडी में है।
 
कई कद्दावर राजनीतिक लोग मामले को हिन्दू मंदिरों की बदनामी करने की साजिश और विदेश से इस के लिए धन की मदद का आरोप लगाकर जांच के काम को रोकने के लिए माहौल तैयार कर रहे हैं। यहां यह भी बता दें कि धर्मस्थल क्षेत्र के आसपास के पुलिस थानो में गुमशुदा बच्चियों व अन्य का कोई रिकार्ड उपलबध नहीं होने का दावा किया गया है। यह सब संकेत करता है कि दाल में कुछ काला है  लेकिन प्रभुत्व शाली लोगों के खिलाफ इतना पुराना और संगीन मामलों की कोई जांच निष्पक्ष नतीजा सामने लाएगी इस को लेकर शुरुआत में ही आशंका बनी थी। लगता है धर्मस्थल के इर्द-गिर्द हुए पाप अब कभी नहीं खुल पाएंगे! चिनैय्या के साथ कोई अनहोनी होने की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता। अब वह एसआइटी के शिकंजे मे है। हालांकि राज्य के गृह मंत्री ने जांच जारी रखने की बात कही है।

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