जीवन के 40 वर्ष का महत्वपूर्ण समय सिर्फ इफको किसानों सहकारिता और देश की उन्नति के लिए लगाया। डॉक्टर उदय शंकर अवस्थी।
अवकाश प्राप्त के बाद शोमैन की तरह हुआ भव्य विदाई समारोह। देश विदेश तथा सहकारिता क्षेत्र के हजारों लोग हुए शामिल।
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स्वतंत्र प्रभात।ब्यूरो चीफ दयाशंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट।
इफको के पर्याय बन चुके निवर्तमान प्रबन्ध निदेशक डाक्टर उदयशंकर अवस्थी का 31 जुलाई को अवकाश ग्रहण के बाद इफको संस्था द्वारा भव्य विदाई समारोह का आयोजन नई दिल्ली में किया गया जिसमें न केवल संस्था के कर्मचारी प्रबंधन और पूरा प्रबंध बोर्ड के हजारों लोग शामिल हुए बल्कि पूरे देश के सहकारी संस्थाओं से जुड़े कई संस्थाओं के अध्यक्ष और प्रबंधन के लोग भी इस समारोह में शामिल होकर अवस्थी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के साक्षी बने ।सहकारिता से जुड़े विदेश के भी कुछ बड़े जिम्मेदार लोग शामिल हुए तथा भारत सरकार का भी प्रतिनिधित्व करने के लिए सहकारिता सचिव भी इस गरिमा पूर्ण समारोह में शामिल होकर उन्हें भावपूर्ण विदाई दिया ।
इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉक्टर उदय शंकर अवस्थी ने अपने आखिरी विदाई भाषण में समारोह को संबोधित करते हुए कहा की लगभग 40 वर्षों तक इफको संस्था की सेवा करने के बाद 80 वर्ष की आयु में मैं अवकाश ग्रहण कर रहा हूं । अब मैं किसी दौड़ में किसी के आगे और पीछे सामिल नहीं हूं। उन्होंने कहा की मैंने 1993 में इफको संस्था में प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था ।
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इसके पूर्व में श्री राम फर्टिलाइजर जुआरी फर्टिलाइजर कंपनी और अंत में पीपीएल संस्था में प्रबंध निदेशक के रूप में सेवा कर चुका था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद जब मैं निकला तो चीन युद्ध के बाद भारत की स्थिति खाद्यान्न के मामले में बहुत कमजोर हो चुकी थी ।मैं उसी समय प्रण किया था कि मैं इस देश के किसानों और खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में काम करके खाद्यान्न की समस्या को करने का प्रयास करूंगा। और और विभिन्न फर्टिलाइजर कंपनियों में काम करते हुए साडे 31 वर्ष तक लगातार मेहनत करके इफको संस्था को नई ऊंचाई तक ले गया ।
डॉक्टर अवस्थी ने बहुत भावुक होकर बोले की इस अवधि मेंमैंने अपने परिवार के बारे में कभी नहीं सोचा उनके बीच में समय नहीं दे पाया और दिन रात सोते जागते इफको संस्था किसान और सहकारिता के प्रगति के बारे में सोचा और आगे तक ले जाने का प्रयास किया ।उसका परिणाम यह रहा आज इफको संस्था सहकारिता के क्षेत्र में न केवल भारत में बल्कि दुनिया में नंबर एक स्थान पर यह संस्था स्थान बना चुकी है।
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डॉक्टर अवस्थी ने कहा कि इस संघर्ष की यात्रा में इसमें काम करने वाले कर्मचारी अधिकारी हमारी संस्था के बोर्ड के सदस्य निदेशक मंडल अध्यक्ष और सरकार सबका सहयोग मिला वह उन सब का शुक्रगुजार हैं और आभार व्यक्त करता है ।जिन्होंने मेरी सफलता में कंधा से कंधा मिलाकर संस्था को ऊंचाई तक पहुंचा या।
उन्होंने कहा कि अपने लिए मैंने कुछ नहीं किया जो किया सिर्फ इफको के लिए किया किसान सहकारिता के लिए किया ।और आज अगर मुझे इफको संस्था ने एक मकान न दिया होता तो मेरे पास रहने के लिए दिल्ली में अच्छी व्यवस्था तक नहीं थी।
डॉक्टर अवस्थी ने अपने बीते हुए लम्हों मैं लाभ हानि का गुणा गणित करते हुए कहा की मैं 80 साल की उम्र में जब इस संस्था को छोड़कर के जा रहा हूं तो मुझे पूर्ण रूप से आत्म संतुष्टि है कि हमने न केवल संस्था के द्वारा किसानो की भरपूर सेवा किया उनकी प्रगति के बारे में जितना भी हो सका आगे बढ़ाया और उनको प्रगति शौल किसान और समृद्ध किसान बनाने के उद्देश्य से।कार्डेट की स्थापना की।आई एफडीसी की स्थापना करके हजारों एकड़ ऊसर बंजर जमीन को उपजाऊ जमीन बनाया और और करोड़ों वृक्षारोपण करके पर्यावरण को मजबूत बनाने में मदद की।

उन्होंने कहा कि संस्था में काम करने वाले लोगों और आर्थिक दृष्टि से मजबूत करने के लिए उन्होंने विदेश में संस्था की भागीदारी करके नए प्लांट लगवाएं जिसमें हमारे कर्मचारी वहां जाकर काम करके अपनी आर्थिक स्थिति और मजबूत कर सके उन्होंने कहा कि आज इफको एक बट वृक्ष बन चुका है और उसकी टहनियां हमारी सारी छोटी-छोटी संस्थाएं हैं जो पुष्पित और पल्लवित है इसकी जिम्मेदारी नए प्रबंध निदेशक और संस्था के ऊपर छोड़ रहा हूं इसको पुष्पित और पल्लवित बने बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि मैं दबाव मुक्त और स्वतंत्र नागरिक हूं मुझे संस्था के हित के लिए जब भी कोई आवश्यकता पड़ेगी तो मैं जो भी सुझाव दूंगा प्रगति के लिए ही दूंगा किसी व्यक्ति विशेष विशेष के फायदे और नुकसान के लिए नहीं दूंगा। माने ना मानने का काम इफको के नए प्रबंध तंत्र की होगी।
उन्होंने अंत में समस्त बोर्ड के सदस्यों साधारण सदस्यों सहकारी सदस्यों किसानों का धन्यवाद दिया जो उनके और संस्था के हित के लिए बराबर उनका सहयोग देते रहे ।उन्हें इस बीच 31 साल की यात्रा में अनेक पुरस्कार और उपाधियां से विभूषित किया गया लेकिन उसके लिए ना तो मुझे कोई अपेक्षा थी ना ही उसकी उपेक्षा ही है ।जो दे दिया जो मिल गया वह भी भला जो नहीं मिला जो मेरे संघर्ष में कहीं छूट गए नहीं साथ चल पाए उनका भी भला।
ऐसा भी नहीं इस इफको की यात्रा में मेरे सामने चुनौतियां नहीं आई संकट नहीं खड़ा हुआ लेकिन मैंने कभी चुनौतियों से हार नहीं माना मैंने अपने कार्यकाल में जिसको जो वचन दे दिया उससे पीछे नहीं हटा चाहे उसके लिए मुझे बाद में बड़ा संकट क्यों न झेलना पड़ा हो। मैंने समय-समय पर झेला भी लेकिन मैं ना तो झुका ना तो मैं चुनौतियां के आगे समझौता किया ।
डॉक्टर अवस्थी ने इफको के नए प्रबंध निदेशक के जे पटेल को अपनी शुभकामना देते हुए उन्हें एक कुशल संवेदनशील और अच्छा तकनीकी जानकार और मेहनती अधिकारी बताया और आशा व्यक्त की उनके नेतृत्व में पूरे इफको परिवार के साथ लेकर चलते हुए इफको संस्था को और ऊंचाई पर ले जायेंगे।
उन्होंने अंत में कहा की जाने अनजाने में अगर उनके कार्यकाल में किसी का अहित हुआ हो या किसी को कष्ट पहुंचा हो तो उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं उन्होंने भावुक होकर कहा कि अब मैं अपने जीवन का जो भी समय बचा है या ईश्वर बचाएगा वह भगवान भोले शंकर से प्रार्थना रहेगी कि उनके सेवा में मेरा शेष जीवन व्यतीत और उसके बाद मैं उनके श्री चरणों में स्थान पा सकूं।
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