ओबरा में महायज्ञ का छठवां दिन, किन्नर भागवताचार्य हेमलता सखी ने दिया सनातन धर्म के ज्ञान पर जोर

महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण और सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करना

ओबरा में महायज्ञ का छठवां दिन, किन्नर भागवताचार्य हेमलता सखी ने दिया सनातन धर्म के ज्ञान पर जोर

ओबरा में धार्मिक आयोजन

अजित सिंह/ राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र ( ओबरा)/उत्तर प्रदेश।

 सोनभद्र के ओबरा स्थित राम मंदिर में चल रहे शिव शक्ति अर्धनारीश्वर मानव कल्याण महायज्ञ का छठवां दिन, 2 अगस्त, 2025, पूरी भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। 29 जुलाई से शुरू हुआ यह महायज्ञ 4 अगस्त तक चलेगा और 5 अगस्त को एक भव्य भंडारे के साथ इसका समापन होगा। इसका मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण और सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करना है। महायज्ञ के छठे दिन, विश्व की द्वितीय किन्नर भागवताचार्य महामंडलेश्वर श्री हेमलता सखी जी ने कथावाचन किया।

उन्होंने अपने गुरु को याद करते हुए बताया कि उन्हीं की आज्ञा पर उन्होंने धर्म के प्रचार का मार्ग चुना है। उन्होंने गोवर्धन पूजा का विस्तृत वर्णन किया और 56 प्रकार के भोग लगाकर पूरे पंडाल को भक्तिमय कर दिया। पंडाल में ब्रज-वृंदावन का मनोरम दृश्य देखने को मिला। कथा में भगवान की बाल लीलाओं और उनके आदर्शों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया, साथ ही आगामी लीलाओं पर भी चर्चा हुई। हेमलता सखी जी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के साथ-साथ सनातन धर्म का ज्ञान भी अवश्य दें। उन्होंने कहा कि जब बच्चों को धर्म का ज्ञान होगा, तो उन्हें जीवन जीने की कला अपने आप आ जाएगी, क्योंकि धर्म और शास्त्र ही जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं।

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छठे दिन के हवन में कई भक्तों ने यजमान के रूप में भाग लिया। इस दौरान रमेश मिश्र, बप्पू तिवारी, दीपेश दीक्षित, और पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष प्रणमति देवी सहित कई लोग उपस्थित रहे। भागवत कथा के बाद, रात 8 बजे से 12 बजे तक भव्य रासलीला का मंचन किया गया। महामंडलेश्वर हेमलता सखी ने अपने संबोधन में कहा, मानव जीवन अनमोल है और इसे सार्थक करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने लोगों से कहा कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर समाज का निर्माण करना है। उन्होंने एक प्रेरणादायक संदेश भी दिया,अपने लिए तो हर कोई जीता है, जीना उसका नाम है जो औरों के लिए जिएं। यह महायज्ञ धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से लोगों को जोड़ने का एक सुंदर माध्यम साबित हो रहा है, जिसमें सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराओं का प्रसार किया जा रहा है।

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