विदाई समारोह में जमकर हुआ हंगामा, लगाया ताला,बुलानी पड़ी पुलिस
मौसमी मजदूरों ने अभियंता व एसडीओ को बनाया बंधक
सुपौल ब्यूरो ,बिहार
सुपौल जिले त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के डपरखा कोशी कॉलोनी चौक स्थित जल संसाधन विभागसे बड़ी और अजीबोगरीब खवर आ रही है,जब बिभाग के कार्यपालक अभियंता कार्यालय में गुरुवार शाम उस समय अफरातफरी मच गई, जब दर्जनों मौसमी मजदूरों ने नारेबाज़ी करते हुए कार्यालय के मुख्य द्वार पर ही ताला जड़ दिया और अधिकारियों को बंधक बना लिया।जिससे रंग में भगं पड़ गया और अफरातफरी का माहौल हो गया।

हंगामा कर रहे मजदूरों का आरोप था कि उनके अनुभव प्रमाण पत्र पर अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर नहींकर रहे हैं। इस बात से नाराज मजदूरों ने हंगामा शुरू कर दिया। मजे की बात यह है कि घटना उस समय घटी जब कार्यपालक अभियंता चंदन कुमार और सिंचाई विभाग की एसडीओ प्रेरणा वर्णवाल के तबादले के बाद विदाई समारोह का आयोजन किया गया था।

दोनों अधिकारी के तबादले की सूचना मिलते ही सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिलों से बड़ी संख्या में मौसमी मजदूर कार्यालय पहुंच गए। जैसे ही समारोह के बाद दोनों अधिकारी अपने वाहन से बाहर निकलने लगे, मजदूरों ने उन्हें घेर लिया और गेट पर ताला लगा दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस को सूचना दी गई।

हंगामा करने वाले मजदूरों में सहरसा के दुर्गापुर निवासी राजदीप कुमार, पस्तपार के ललन कुमार, सौरबाजार के राजकुमार यादव व बिजेंद्र यादव, कुमारखंड के बेलाड़ी निवासी अशोक मंडल और मधेपुरा के तुलसीबाड़ी निवासी मुकेश कुमार प्रमुख रूप से शामिल थे।इनका आरोप था कि प्रमंडल में कार्यरत 65 मौसमी मजदूरों के अनुभव प्रमाण पत्रों पर अधिकारियों ने हस्ताक्षर नहीं किए। इतना ही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि प्रत्येक प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर के लिए 2000 रुपये रिश्वत मांगी गई थी, और पैसे नहीं देने पर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर से मना कर दिया गया।

जबकि कार्यपालक अभियंता चंदन कुमार ने सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि अनुभव प्रमाण पत्र विभागीय आदेशों के अंतर्गत नहीं आते, और प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया विभाग के निर्देशानुसार नहीं है। उन्होंने बताया कि मजदूरों की उपस्थिति को दर्ज करने के लिए मास्टर रोल निर्गत किया जा रहा है ताकि उनके भुगतान में कोई बाधा न आए।
एसडीओ प्रेरणा वर्णवाल ने भी सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे पिछले तीन वर्षों से यहाँ कार्यरत हैं और उन्होंने कभी भी किसी मजदूर से पैसे की मांग नहीं की। स्थिति बिगड़ने पर अधिकारियों ने डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचित किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद हालात को काबू में किया और मजदूरों को शांत कराया।
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