अनपरा नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का बोलबाला पहली बारिश में ही ढहा ओपन जिम और पार्क
अनपरा नगर पंचायत में विकास कार्यों पर भ्रष्टाचार का साया पहली बारिश में ध्वस्त हुआ ओपन जिम और पार्क
अनपरा नगर पंचायत मे भ्रष्टाचार का मामला
अजित सिंह / अजवंत सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पंचायतों में से एक अनपरा नगर पंचायत में कराए जा रहे विकास कार्यों में भ्रष्टाचार किस हद तक हावी है, इसका जीता-जागता सबूत हाल ही में सामने आया है। पहली ही बरसात में लाखों की लागत से बना ओपन जिम और पार्क क्षतिग्रस्त हो गया।

घटिया निर्माण सामग्री और कमीशनखोरी के कारण यह तथाकथित विकास अपनी पहली ही परीक्षा में धाराशायी हो गया।आरोप है कि ये कार्य केवल विकास नहीं, बल्कि कुछ स्थानीय नेताओं और अधिकारियों द्वारा अपनी जेबें भरने का जरिया बन गए हैं। यदि इस मामले की गहन जांच की जाए, तो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।

Read More गांवों को रोशन करने के नाम पर करोड़ों का खेल, स्ट्रीट लाइट खरीद में भारी भ्रष्टाचार का आरोपयह चिंताजनक है कि प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पंचायत होने के बावजूद यहां भ्रष्टाचार चरम पर है और जिम्मेदार अधिकारी आँखें मूंदे बैठे हैं। इतना ही नहीं, जो कोई इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी जा रही है।
मुख्यमंत्री से जांच की मांग
ऊर्जाचल जन सहयोग मंच के अध्यक्ष संजीव सिंह ने इस गंभीर मामले पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गहन जांच की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना के तहत नगर पंचायत में कराए जा रहे कार्यों में भारी अनियमितता बरती जा रही है।
विशेष रूप से, वार्ड नंबर 20, बोस नगर में लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए पार्क में इतनी खराब गुणवत्ता का काम हुआ है कि यह पहली ही बारिश में ढह गया। संजीव सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में यह भी बताया है कि भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें मिलने के बावजूद जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इस निष्क्रियता के कारण भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं। उनका मानना है कि यह स्थिति प्रदेश सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति को एक बड़ा धोखा साबित कर रही है। अनपरा नगर पंचायत में फैले इस भ्रष्टाचार को लेकर स्थानीय निवासियों में भारी रोष व्याप्त है। संजीव सिंह ने मुख्यमंत्री से पुरजोर मांग की है कि नगर पंचायत में हुए इस व्यापक भ्रष्टाचार की जांच ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अनुसंधान विंग) से कराई जाए ताकि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सके और जनता के पैसे का दुरुपयोग रोका जा सके।
इस संबंध में जब नगर पंचायत की कार्यकारी अधिकारी (ईओ) अपर्णा मिश्रा से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उनका फोन लगातार व्यस्त रहा, जिससे इस मामले पर उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। यह स्थिति स्थानीय लोगों के आक्रोश को और बढ़ा रही है, जो न्याय और पारदर्शिता की उम्मीद कर रहे हैं।

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