सरकार उपेक्षा से ,भड़का राशन वितरकों का गुस्सा
“जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी, आंदोलन जारी रहेगा!”
On
लेखक सचिन बाजपेई लखनऊ,
उत्तर प्रदेश के कोटेदारों ने कई वर्षो से पूरे राज्य में जोरदार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। राजधानी लखनऊ सहित कई जिलों में कोटेदारों ने धरना-प्रदर्शन करते हुए खाद्य एवं रसद विभाग के खिलाफ नाराज़गी जताई। प्रदेश के हजारों कोटेदारों का आरोप है कि सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है और काम के बदले मिलने वाले मेहनताने के साथ-साथ व्यवस्थाओं में भी भारी अनियमितता बरती जा रही है।
क्या है कोटेदारों की प्रमुख मांगें?
कमीशन दर में वृद्धि की मांग:कोटेदारों का कहना है कि वर्तमान में उन्हें प्रति यूनिट पर मिलने वाला कमीशन अत्यंत कम है, जबकि पेट्रोल-डीज़ल, ट्रांसपोर्ट, मजदूरी और बिजली के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। उनका दावा है कि कई बार तो डीलर को अपनी जेब से पैसा लगाकर राशन वितरित करना पड़ता है।
पोर्टल की तकनीकी समस्याएं:
.jpeg)
‘अनाज वितरण पोर्टल’ और ‘ई-पॉस मशीन’ अक्सर खराब रहती हैं या नेटवर्क की समस्या रहती है, जिससे राशन वितरण में बाधा आती है और उपभोक्ता नाराज़ होते हैं। कोटेदारों का आरोप है कि खराबी के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाता है।
फर्जी शिकायतों पर कार्रवाई:
कई कोटेदारों ने बताया कि उन्हें बिना जांच के निलंबित कर दिया जाता है। "एक भी उपभोक्ता अगर झूठी शिकायत कर दे, तो विभाग बिना सुनवाई के कार्रवाई कर देता है। इससे हमारा मानसिक और आर्थिक शोषण होता है,"—एक कोटेदार ने बताया।
मानदेय की नियमितता:
उनका यह भी कहना है कि कई महीनों से उन्हें कमीशन और अन्य खर्चों का भुगतान नहीं किया गया है। "सरकार कहती है हम ‘अन्न योद्धा’ हैं, लेकिन व्यवहार में हमें मजदूर से भी बदतर स्थिति में रखा गया है।"
सरकार का क्या है रुख?
खाद्य एवं रसद विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सरकार को कोटेदारों की समस्याओं की जानकारी है और इस पर विचार किया जा रहा है। "हम जल्द ही एक समिति गठित कर उनकी समस्याओं का समाधान निकालेंगे।"
हालांकि, अब तक कोई आधिकारिक बयान या ठोस आश्वासन सरकार की ओर से नहीं आया है।
प्रदर्शन का स्वरूप राज्य के करीब 75 जिलों में कोटेदारों ने राशन वितरण बंद कर ‘काम बंद आंदोलन’ शुरू कर दिया है। राजधानी लखनऊ में इकठ्ठा हुए हजारों कोटेदारों ने विधानसभा के बाहर मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
“हम इंसाफ चाहते हैं, दया नहीं!”
“जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी, आंदोलन जारी रहेगा!”
जन वितरण प्रणाली पर असर इस आंदोलन के कारण राज्य के लाखों लाभार्थियों को राशन मिलने में देरी हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर पर गरीब परिवारों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निष्कर्ष उत्तर प्रदेश में कोटेदारों का यह आंदोलन सिर्फ आर्थिक मांगों का सवाल नहीं, बल्कि एक व्यापक प्रशासनिक और तकनीकी सुधार की पुकार है। अगर सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संकट राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को गहरा झटका दे सकता है।
About The Author
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
Related Posts
राष्ट्रीय हिंदी दैनिक स्वतंत्र प्रभात ऑनलाइन अख़बार
15 Dec 2025
15 Dec 2025
15 Dec 2025
Post Comment
आपका शहर
16 Dec 2025 11:34:50
Delhi Mumbai Expressway: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में बड़ा अपडेट देते हुए बताया कि...
अंतर्राष्ट्रीय
28 Nov 2025 18:35:50
International Desk तिब्बती बौद्ध समुदाय की स्वतंत्रता और दलाई लामा के उत्तराधिकार पर चीन के कथित हस्तक्षेप के बढ़ते विवाद...

Comment List