सोनभद्र ओबरा में जलजमाव का स्थायी संकट ऊर्जा की राजधानी की सड़कें डूबीं, जनता परेशान, प्रशासन पर उठे सवाल

ओबरा में जलजमाव बना नासूर उपजिलाधिकारी के प्रयासों के बावजूद ऊर्जा की राजधानी की सड़कों पर पानी का राज

सोनभद्र ओबरा में जलजमाव का स्थायी संकट ऊर्जा की राजधानी की सड़कें डूबीं, जनता परेशान, प्रशासन पर उठे सवाल

ओबरा नगर का क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं

अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र(ओबरा) / उत्तर प्रदेश-

सोनभद्र जिले के ओबरा नगर पंचायत, जिसे उत्तर प्रदेश की ऊर्जा की राजधानी और छोटी मुंबई भी कहा जाता है, में जलजमाव की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। ओबरा तहसील और कोर्ट आने जाने वाले मुख्य मार्ग, विशेषकर शारदा मंदिर से आगे बिरखा मंदिर के पहले, थोड़ी सी भी बारिश में घुटनों तक पानी में डूब जाता है।

यह स्थिति तब है,जब ओबरा उपजिलाधिकारी स्तर पर प्रयास किए गए हैं, लेकिन समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा।आमजन में यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में पानी जमा क्यों हो जाता है और क्यों निकासी नहीं हो पाती, जबकि सड़क के दोनों ओर नाले बने हुए हैं। यह जलभराव न केवल आवागमन को बुरी तरह बाधित करता है, बल्कि लोगों की चिंता का विषय भी बन गया है।

स्थानीय निवासियों ने बताया कि पूर्व में भी इस समस्या के समाधान के लिए उपजिलाधिकारी ओबरा ने मौके पर निरीक्षण किया था और अगली बरसात में पोकलेन मशीनों से नालों की सफाई भी कराई थी। यहां तक कि कुछ बंद पड़े नालों को भी खुलवाया गया था। लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद, हालात जस के तस बने हुए हैं, जिससे स्थानीय लोगों में निराशा बढ़ रही है।जलजमाव की वजह से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

चार पहिया वाहन चालक इस डर से रास्ते से गुजरने से कतराते हैं कि कहीं उनकी गाड़ी बंद न हो जाए, इंजन में पानी घुस न जाए, या ड्राइवर की सीट तक भीग न जाए।मोटरसाइकिल सवारों के लिए तो यह और भी बड़ी चुनौती है, क्योंकि उन्हें गंदे पानी से गुजरना पड़ता है। कई बार तो लोग इस पानी में गिरकर चोटिल भी हो जाते हैं, और उनके जूते, कपड़े गंदे हो जाते हैं।स्थानीय लोगों का मानना है कि जब अधिकारी इस गंभीर और बार-बार सामने आने वाली समस्या पर आंखें मूंद लेंगे, तो आम जनता को तो इसे झेलना ही पड़ेगा।ओबरा जैसे महत्वपूर्ण नगर पंचायत, जिसे उत्तर प्रदेश में दूसरे नंबर का दर्जा प्राप्त है।

मुख्य मार्गों पर इस तरह का जलजमाव स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली और अक्षमता पर गंभीर सवाल उठाता है। यह स्थिति स्वच्छ भारत अभियान और शहरी विकास के दावों की जमीनी हकीकत को भी उजागर करती है। नागरिकों का कहना है कि जब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता, तब तक ऊर्जा की राजधानी का यह गौरव धूमिल होता रहेगा।

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